छत्तीसगढ़: पुलिस फोर्स ने बदली रणनीति, नक्सली लीडर भी अब बच नहीं पाएंगे

नक्सलियों (Naxals) से निपटने के लिए पुलिस फोर्स ने अब रणनीति बदल ली है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी के मुताबिक, पिछले तीन सालों में फोर्स ने एरिया डॉमिनेशन में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

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नक्सलियों (Naxals) से निपटने के लिए पुलिस फोर्स ने अब रणनीति बदल ली है।

नक्सलियों (Naxals) से निपटने के लिए पुलिस फोर्स ने अब रणनीति बदल ली है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी के मुताबिक, पिछले तीन सालों में फोर्स ने एरिया डॉमिनेशन में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। चिंतलनार, किस्टारम और अबूझमाड़ के सोनपुर तक एरिया डॉमिनेशन के बाद नक्सली अपनी मांद में सिमट गए हैं पर फोर्स अब उनकी मांद तक पहुंचने की तैयारी है। सुकमा जिले के पालोडी और दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाके पोटाली में कैंप खोलने के बाद नक्सलियों (Naxals) को पीछे हटना पड़ा है।

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फाइल फोटो।

अब पुलिस की योजना है कि पोटाली के आगे बुरगुम, ककाड़ी, नहाड़ी आदि इलाकों को सेनेटाइज करने के लिए वहां फोर्स की तैनाती की जाए। सुकमा जिले के किस्टारम-चिंतलनार इलाके में नक्सली (Naxals) बहुत सक्रिय रहे हैं। बीते एक दशक में इन्हीं इलाकों में सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं। पर किस्टारम के आगे पालोडी तक फोर्स पहुंच चुकी है। बीजापुर जिले में इंद्रावती नेशनल पार्क के भीतर कैंप खोला जाएगा। अब इस इलाके के सुदूर जंगलों तक पहुंचने की तैयारी की जा रही है। ऐसे ही अबूझमाड़ में भी बासिंग और सोनपुर से आगे जाने की योजना बनाई जा रही है। आइजी के अनुसार, दो साल पहले वे जब सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत फोर्स कोलेंग गांव में गए तो महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। उनकी मांग थी कि वहां कैंप खोला जाए। लिखित आश्वासन देने के बाद ही वे मानीं। टीम के साथ आइजी खुद भी थे।

दो महीने के बाद कोलेंग में कैंप खोला गया। पोटाली में कैंप खोला गया तो नक्सलियों (Naxals) के इशारे पर विरोध किया गया। अब वहां सड़क सुधर रही है। बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य का इंतजाम किया जा रहा है। यह दुष्प्रचार है कि सड़क का निर्माण संसाधनों पर कब्जे के लिए किया जा रहा है। सड़क के साथ विकास पहुंचता है, जिसकी सभी को जरूरत है। आदिवासी भी समझने लगे हैं कि कौन सही और कौन गलत कह रहा है। आइजी ने कहा कि फोर्स का उद्देश्य सुरक्षा और शांति स्थापित करना है। गलत करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। पहले सरेंडर या गिरफ्तारी कितनी हुई यह देखा जाता था। हम नंबर गिनने नहीं बैठे हैं। डीजीपी डीएम अवस्थी ने भी साफ किया है कि गलत न किया जाए। सरेंडर में नंबर गेम का कोई मतलब नहीं है। जिनका सरेंडर कराया जाए उनका कोई मतलब हो।

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ऐसे लोगों का सरेंडर कराया जा रहा है जिनके सरेंडर से इलाके में कोई असर पड़ता हो। उन्होंने कहा कि पुलिस सुरक्षा के साथ विकास की रणनीति पर काम कर रही है। फोर्स का काम यह भले ही नहीं है, पर यह बात भी सच है कि उन जगहों पर दूसरी एजेंसियों की पहुंच नहीं है। इसीलिए कैंपों को विकास केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हम अब अपनी छवि सर्विस प्रोवाइडर के रूप में बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आइजी सुंदरराज पी के मुताबिक, फोर्स को सबसे ज्यादा नुकसान लैंडमाइन से ही हुआ है। इसकी चपेट में ग्रामीण भी आते रहे हैं। नारायणपुर में तीन महिलाएं और बच्चे प्रेशर बम की चपेट में आए थे। कुछ दिन पहले दो मजदूर बम की चपेट में आ गए। ग्रामीण समझने लगे हैं कि नक्सलियों का साथ देने का खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ता है।

अब वे खुद सामने आकर बता रहे हैं कि कहां बम बिछाए गए हैं। फोर्स के पास बमों की तलाश करने और उन्हें निष्क्रिय करने के साधन भी बढ़े हैं। यही वजह है कि अब लगातार बम बरामद हो रहे हैं। आइजी ने कहा कि नक्सली (Naxals) तीन घेरे में रहते हैं। मुठभेड़ में जनमिलिशया सामने होती है, फिर मिलिट्री दलम और आखिरी में कमांडर होते हैं। फोर्स का हमला हाते ही लीडर्स महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि लेकर भाग जाते हैं। हमने बाहरी लेयर को निशाने पर लिया। एक साल पहले भेज्जी इलाके में साढ़ चार सौ जनमिलिशिया सदस्यों को पकड़ा तो हल्ल मचा। बाद में ग्रामीण सहमत हो गए। इसके बाद मिलिट्री दलम वाले पकड़ में आने लगे। जनमिलिशिया ही फटाखे वगैरह फोड़कर उन्हें सतर्क करते हैं। यह घेरा अब ध्वस्त हो रहा है। लीडर भी ज्यादा दिनों तक बच नहीं पाएंगे।

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