कोरोना का कहर, तब्लीगी जमात की जहालत और पाकिस्तान का खेल

पाकिस्तान का आईएसपीआर ऐसे वीडियोज़ को बनाकर भारत में वायरल करवा रहा है ताकि वर्ग विशेष के खिलाफ नफरत का माहौल और गर्म हो। आपसी सौहार्द बिगड़े। ये हालात, पाकिस्तान के एजेंडे को सूट करते हैं।

Tablighi Jamaat, covid-19

फेक वीडियो के जरिए भारत में नफरत फैला रहा है पाकिस्तान।

कोरोना (Covid-19) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण से बेहाल है। सभी देश कोरोना से लड़ने में एक दूसरे की मदद कर कर रहे हैं। वहीं एक ऐसा देश भी है, जो ऐसे वक्त में भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अपनी ऊर्जा और संसाधनों का इस्तेमाल अपने लोगों को बचाने, उनकी बेहतरी के लिए लगाने के बजाय वो पड़ोसी देश को परेशान करने के लिए कर रहा है। उस देश का नाम है पाकिस्तान (Pakistan)।

पूरी दुनिया में जब लोग लॉकडाउन पर अमल कर रहे हैं, पाकिस्तान की सेना (Pak Army) भारत के खिलाफ साजिश में मसरूफ है। इस वक्त, जब हर कोई फेक न्यूज और फेक वीडियोज़ पर रोक लगाने की वकालत कर रहा है, तो पाकिस्तान फेक वीडियोज़ के जरिए भारत की आबो-हवा में जहर घोलने की कोशिश में जुटा है।

इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) पाकिस्तानी सेना का मीडिया विंग या यूं कह लें पाकिस्तान का प्रोपगैंडा विभाग है। इसकी गतिविधियों के केंद्र में है नफरत की खुराक, जिसे ये भारत में धड़ल्ले से सप्लाई कर रहा है क्योंकि ये वक्त उसके लिए मुफीद है। दरअसल, पाकिस्तान हमेशा से भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को उसकी कमजोरी समझता आया है। धार्मिक आधार पर ही वो भारत में नफरत की खेती करना चाहता है। कई मौकों पर उसकी ये नापाक साजिश कुछ हद तक सफल भी रही।

आज जब दुनिया के बाकी देशों की तरह भारत भी कोरोना (Covid-19) जैसी वैश्विक आपदा से जूझ रहा है। दुनियाभर में भारत सरकार की कोशिशों की सराहना हो रही है, तो ये बात नफरत पसंद पाकिस्तान को रास नहीं आ रही। लिहाजा, पाकिस्तान ने ISPR को पूरी तरह एक्टिव कर दिया है। और ISPR इस पर कैसे काम कर रहा है, वो जानने से पहले ये बता दें कि आखिर इनकों ये आइडिया मिला कहां से… दरअसल, मार्च के तीसरे हफ्ते तक भारत में जिस रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, ऐसा लग रहा था बहुत जल्द इन पर काबू पा लिया जाएगा। लेकिन अचानक मार्च के आखिरी हफ्ते में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज से कोरोना संक्रमित लोगों के सामने आने का सिलसिला शुरू हुआ। फिर जैसे-जैसे पड़ताल आगे बढ़ी, तब्लीगी जमात भारत में कोरोना का सुपर स्प्रेडर साबित होता गया।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 18 अप्रैल तक भारत में कोरोना संक्रमण के कुल 14378 मामले सामने आए। इनमें से 4291 मामले दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। यानी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के करीब 29 फीसदी मामले तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से जुड़े हुए हैं। जाहिर तौर पर इतनी बड़ी तादाद में जमातियों और उनसे जुड़े लोगों के कोरोना संक्रमित होने के पीछे उनकी जहालत मुख्य वजह है। इसी जहालत के चलते देशभर में जमात से जुड़े लोगों के खिलाफ एक आक्रोश पनपा और इसी का फायदा उठा रहा है आईएसपीआर।

सोशल मीडिया पर तब्लीगी जमातियों (Tablighi Jamaat) को लेकर तरह-तरह के वीडियो और मीम्स वायरल हो रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इन गतिविधियों से एक वर्ग विशेष के खिलाफ नफरत का माहौल बन रहा है। अब वायरल हो रहे वीडियो असली हैं या नकली इनकी पहचान थोड़ी मुश्किल है। इनमें से ज्यादातर वीडियोज़ का मकसद वर्ग विशेष के खिलाफ गुस्से को नफरत में बदलने की कोशिश करना है। कुछ हद तक वे इसमें कामयाब भी हो रहे हैं।

पर खुफिया सूत्रों की मानें तो दरअसल इसके पीछे पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा विभाग का हाथ है। ऐसे वीडियोज़ जिसमें दिखाया जा रहा है कि विशेष पोशाक पहने लोग बाहर थूक रहे हैं, पानी की टंकियों में थूक रहे हैं, फल और सब्जियों पर थूक लगा रहे हैं, धड़ल्ले से वायरल हो रहा है। पर अगर इन वीडियोज़ पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि ये आनन-फानन में मौके पर बनाए गए वीडियोज़ नहीं हैं। मतलब, ऐसा नहीं है कि कोई थूक रहा था या किसी पानी की टंकी को कथित रूप से कोरोना फैलाने के लिए गंदा कर रहा था और उसी वक्त किसी ने अपने कैमरे में इन हरकतों को कैद कर लिया हो। अगर बारीकी से देखें तो पता चलता है कि इन वीडियोज़ को बाकायदा पूरी तैयारी के साथ शूट किया गया है। इनकी प्रोडक्शन क्वॉलिटी भी किसी अमैच्योर वीडियो के मुकाबले काफी बेहतर है।

जरा ध्यान दीजिए, कुछ दिनों पहले एक वीडियो आया जिसमें एक चीनी मूल की महिला ऑस्ट्रेलिया के एक मॉल में फलों पर थूकते नजर आती है। ये वीडियो वायरल होना शुरू होता है। इसके ठीक बाद एक और वीडियो आता है, जिसमें दिखाया जाता है कि दिल्ली में बस से ले जाया जा रहा तब्लीगी जमात का एक सदस्य बाहर थूक रहा है। हफ्ते भर के भीतर अचानक ऐसे वीडियोज़ की बाढ़ सी आ जाती है, जिसमें मुसलमानों को फल और सब्जियों पर थूकते हुए दिखाया जा रहा है। इन वीडियोज़ की एक खास बात ये है कि इसमें शामिल लोगों की उनके कपड़े और टोपी वगैरह के जरिए आसानी से धार्मिक पहचान की जा सकती है।

एक वीडियो में दिखाया जाता है कि दो लड़के पानी की टंकी में थूक रहे हैं। ये दोनों लड़के भी ऐसे गेटअप में हैं कि बिना किसी दिमागी जोर-आजमाइश के इनकी धार्मिक पहचान की जा सकती है। तो इन सब वीडियोज़ की पहली खासियत ये है कि इनमें दिखने वाले लोग साफतौर पर एक धर्म विशेष के दिखते हैं। दूसरी खासियत है, कैमरा वर्क। इसकी तस्दीक होती है एक तीसरे वीडियो से जिसमें बारिश के दौरान एक लड़का दिखता है, जो जालीदार टोपी पहना हुआ है। ध्यान देने पर पता चलता है कि ये कोई अमैच्योर वीडियो नहीं है बल्कि इसे बाकायदा पूरी प्लानिंग के साथ शूट किया गया है।

इन सब वीडियोज़ की एक और खासियत है, आप इनमें किसी भी सब्जी या फल बेचने वाले की पहचान नहीं कर सकते हैं। मतलब, ये किस जगह के वीडियो हैं क्योंकि शूट करते समय इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि कहीं से इन लोकेशन की पहचान ना हो सके। ना तो बैकग्राउंड में कोई होर्डिंग नजर आता है, ना ही कोई साइनबोर्ड। प्रोपेगैंडा वीडियो की ये पहली शर्त होती है। अगर कोई साइनबोर्ड नजर आता भी है, तो वो बाकायदा प्लान के तहत लगाया जाता है ताकि मकसद पूरा हो सके। मकसद क्या है ये बताने की जरूरत नहीं।

मतलब साफ है कि ISPR ऐसे वीडियोज़ को बनाकर भारत में वायरल करवा रहा है ताकि वर्ग विशेष के खिलाफ नफरत का माहौल और गर्म हो। आपसी सौहार्द बिगड़े। ये हालात, पाकिस्तान के एजेंडे को सूट करते हैं। आमने-सामने की लड़ाई में टिक पाना उसके वश का नहीं ये साबित हो चुका है। पाकिस्तान प्रायोजित छद्म युद्ध यानी आतंकवाद भी भारत के इरादों को खास नुकसान नहीं पहुंचा पाया है। तो अब वो तकनीक का इस्तेमाल करके हमारे आपसी ताने-बाने को तोड़ने की नापाक कोशिश कर रहा है।

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