यूरोपीय संसद में भारत की कूटनीतिक जीत, CAA पर नहीं हुआ मतदान

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है। यूरोपीय संसद में नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर होनेवाला मतदान टाल दिया गया है।

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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है।

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है। यूरोपीय संसद में नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर होनेवाला मतदान टाल दिया गया है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।यह वोटिंग 30 जनवरी को होने वाली थी, लेकिन अब यह 31 मार्च को होगी।

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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है।

यूरोपीय संसद (EU) के एक बयान में कहा गया है कि ब्रसेल्स में आज के सत्र में MEPs के एक निर्णय के बाद, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के प्रस्ताव पर वोट मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। मतदान के टालने के जवाब में, सरकारी सूत्रों ने कहा कि ‘भारत के दोस्त’ यूरोपीय संसद में ‘पाकिस्तान के दोस्त’ पर हावी रहे। भारत सरकार कहती आ रही है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत का आंतरिक मामला है और इसे समुचित प्रक्रिया का पालन कर अपनाया गया है। सूत्रों ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नागरिकता संशोधन कानून पर हमारे नजरिये को यूरोपीय संघ के सांसदों द्वारा निष्पक्ष और खुले मन से समझा जाएगा।

गौरतलब है कि यूरोपीय संसद के छह राजनीतिक दलों के सदस्यों ने भारत के CAA के खिलाफ एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया और इसे भेदभाव करने वाला करार दिया। जिसके बाद EU में लाए गए इस प्रस्ताव पर भारत ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा है कि यह हमारा आंतरिक मामला है। इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है। इसके अलावा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने यूरोपीय संघ (EU) के प्रेसिडेंट को चिट्ठी लिखकर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की थी।

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बिड़ला ने कहा था कि आपकी संसद अगर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करती है तो यह गलत उदाहरण पेश होगा। ओम बिरला ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ यूरोपीय संसद में पेश किए गए प्रस्तावों के संबंध में उसके अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को पत्र लिखकर कहा था कि किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है और इस परिपाटी का निहित स्वार्थ वाले लोग दुरुपयोग कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरसंसदीय संघ का सदस्य होने के तौर पर ‘हमें साथी विधायिकाओं की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।’

उन्होंने पत्र में लिखा था कि मैं यह बात समझता हूं कि नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (Citizenship Amendment Act, 2019) को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन’ पेश किया गया है। इस कानून में हमारे निकट पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है।’ उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य किसी से नागरिकता छीनना नहीं है और इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में आवश्यक विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया है।

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