तेजी से बदल रही है घाटी की फिजा, फिर सुनाई देगी लाइट–कैमरा–एक्शन की गूंज

आम लोग चाहते हैं कि कश्मीर (Kashmir) में फिर से लाइट–कैमरा–एक्शन की गूंज सुनाई दे। लेकिन आतंकियों को लेकर थोड़ी चिंता भी है‚ जिसे सुरक्षाबलों के जरिए दूर किया जा सकता है।

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अशांत रही घाटी की बदल रही तस्वीर से यह उम्मीद जगने लगी है कि आने वाले दिनों में यहां एक बार फिर लाइट–कैमरा–एक्शन की गूंज सुनाई देगी। केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश शासन इस दिशा में तेजी से प्रयास भी कर रहे हैं। बॉलीवुड़ के फिल्मकार भी खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के आतंकवाद से ग्रसित होने से पहले 80 के दशक तक कश्मीर (Kashmir) की वादियों में कई फिल्मों का फिल्मांकन हो चुका है। उस वक्त तक यहां के सिनेमाघरों में भी खासी रौनक रहती थी‚ लेकिन बाद में अलगाववाद तथा आतंकवाद के कुचक्र ने सब कुछ मटियामेट कर दिया।

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प्रदेश शासन के सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर (Kashmir) में निवेश करने को लेकर मुंबई में फिल्म उद्योग से जुड़ी हस्तियों से शासन के लोगों की विस्तृत चर्चा हुई है। इस चर्चा में कई फिल्मकारों ने अपनी खासी दिलचस्पी दिखाई।

उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के सलाहकार फारूक खान ने भी बालीवुड़ की कुछ हस्तियों से विगत दिनों मुंबई में बातचीत कर उन्हें कश्मीर (Kashmir) आने का न्योता दिया था। गृह राज्यमंत्री जी कृष्ण रेड़्ड़ी ने भी कश्मीर में फिल्म उद्योग के जरिए स्थानीय युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की बात कही है।

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वैसे‚ जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से काफी लंबे अरसे से युवा बालीवुड़ में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई जाते रहे हैं। हाल के दिनों में विस्थापित कश्मीरी पंडि़तों की त्रासदी पर बनी फिल्म ‘शिकारा’ के निर्माता निर्देशक विधू विनोद चोपड़ा की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कश्मीर की है और वह इससे पहले ‘मिशन कश्मीर’ जैसी फिल्म बना चुके हैं।

सूत्रों का कहना है कि कश्मीर (Kashmir) में जिलास्तर पर भी फिल्म उद्योग से जुड़ी गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। यह भी बताया जा रहा है कि यहां लंबे अरसे से बंद पड़े सिनेमाघरों की भी सुध ली जायेगी।

फिल्म और कश्मीर (Kashmir) का दशकों पुराना रिश्ता है। कपूर खानदान के खासकर अभिनेता शम्मी कपूर साहब ने तो ज्यादातार घाटी आधारित फिल्मों में ही काम किया है। कुछ साल पहले आई सलमान खान की ‘बजरंगी भाईजान’ की शूटिंग भी कश्मीर में ही हुई थी।

यदि यहां फिल्म उद्योग को फिर से स्थापित करने की कोशिशें होंगी तो निश्चित तौर पर यह रंग लाएगी। पंजाबी फिल्म उद्योग भी यहां खासी दिलचस्पी ले रहा है। यहां अवाम के बीच इस बाबत उमंग तो है लेकिन डर भी। आम लोग चाहते हैं कि कश्मीर (Kashmir) में फिर से लाइट–कैमरा–एक्शन की गूंज सुनाई दे। लेकिन आतंकियों को लेकर थोड़ी चिंता भी है‚ जिसे सुरक्षाबलों के जरिए दूर किया जा सकता है।

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