भारतीय शास्त्रीय नृत्य ‘कथक’ को नए आयाम तक पहुंचाने वाले महान गुरु हैं पं. बिरजू महाराज

Birju Maharaj

कथक का नाम जैसे ही जुबान में आता है बिरजू महाराज (Birju Maharaj) खुद-ब-खुद याद आ जाते है। आपको बता दें कि 4 फरवरी को ही पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में कत्थक के सबसे पहले गुरु महाराज ईश्वरीय प्रसाज जी के घर में हुआ था। भारतीय शास्त्रीय नृत्य ‘कत्थक’ को देश-दुनिया के मानचीत्र में नये आयाम पर पहुंचाने में बिरजू महाराज ने अहम भूमिका निभाई है।

Birju Maharaj

पं. बिरजू महाराज (Birju Maharaj) न केवल एक बेजोड़ कथक नर्तक अपितु एक शानदार गायक, उदार शिक्षक, और कल्पनाशील चित्रकार भी हैं। भारतीय नृत्य का प्रतीक बिरजू जी, जो हज़ारों लोगों का मार्गदर्शक और दुनिया भर में अनगिनत लोगों की प्रेरणा है, वास्तव में अपनी कलात्मक दुनिया के बाहर एक सहज, सरल व्यक्ति है। दुर्लभ छायाचित्रों से परिपूर्ण यह पुस्तक एक ऐसे महान कलाकार के प्रति हृदयानुभूत श्रद्धा की अभिव्यक्ति है, जिसकी अनेक उपलब्धियाँ न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में उल्लेखनीय हैं। जिनके अथक प्रयासों ने अनगिनत लोगों के जीवन को छुआ है और शास्त्रीय नृत्य रूप कथक के बारे में जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया है। दंतकथा बन चुके कथक सिरमौर पंडित बिरजू महाराज के इस संस्मरण में उनके व्यक्तित्व की एक-एक परत– उनकी सादगी, उनकी विनम्रता, उनकी उदारता– खुल कर सामने आती है।

पिछले सौ-एक वर्षों में लखनऊ घराने के महान गुरुओं के, जो एक ही वंश के हैं, प्रभाव के फलस्वरूप कथक ने विकास की दिशा में तेजी से कदम उठायें हैं। इस घराने के एक से एक महान गुरुओं ने अपने पूर्ववर्तियों की उपलब्धियों में जैसे उनके कंधे पर चढ़कर पिछले समस्त ज्ञान और अनुभव को धारण कर अपनी निजी विशिष्टता को जोड़ा। यह निरंतर प्रक्रिया लखनऊ घराने के उत्तराधिकारियों द्वारा आज तक बिरजू महाराज के कृतित्व के रूप में चली आ रही है।

कथक के संबंध में यदि आनंदकुमार स्वामी की उत्कृष्ट प्रशस्ति को छोड़ दें तो यह आश्चर्य की बात है कि महान भारतीय पुनर्जागरण के अगुआ टैगोर और उदयशंकर ने शास्त्रीय नृत्य की इस शैली पर विशेष कृपा दृष्टि नहीं की। इससे कथक में आरंभिक मिश्रण होने की संभावना नहीं रही।

इस तरह आकस्मिक परिस्थिति में बिरजू महाराज (Birju Maharaj) का कैरियर स्वातंत्र्योत्तर काल से जुड़ गया। इस तथ्य का उनके कैरियर और कथक के आज के रूप पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। उनके द्वारा प्रभावित आज के कथक पर उनके कार्य का प्रभाव इतना व्यापक है कि वह एक तरीके से कथक के व्यक्तित्व में इतने मौलिक रूप में हैं, कि दोनों को अलग-अलग करके देखना कठिन है। बिरजू महाराज और उनकी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कोई भी व्यक्ति इस तथ्य को नहीं भूल सकता कि बिरजू महाराज समग्र पर्यावरण का एक हिस्सा और उत्पाद है। इस पर्यावरण में न केवल उनके पूर्वज परंतु उनके वे अनेक समकालीन, वरिष्ठ और कनिष्ठ, साथी भी शामिल हैं जो उनके अपने विकास और समग्र रूप में कथक के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं तथा योगदान कर रहे हैं।

इतिहास में आज का दिन – 4 फरवरी

प्रसिद्धि के प्रारंभिक दिनों में बिरजू महाराज (Birju Maharaj) ने दिल्ली की संगीत भारती नामक संस्था में शिक्षक का कार्य किया, तत्पश्चात भारतीय कला केंद्र में नियुक्त हुए। काफी अरसे से वे नई दिल्ली के कत्थक केंद्र में नृत्य के प्रधान आचार्य और नृत्य रचयिता के रूप में कार्यरत हैं। अपने कुशल संरक्षण में उन्होंने असंख्य शिष्यों को नृत्य की शिक्षा दी है, जिसमें अधिकांश आज प्रसिद्धि के शीर्ष पर हैं। उनके प्रमुख शिष्यों में अनिता ओरडिया, अमिता दत्त, अर्जुन मिश्र, अलका नुपुर, इशिरा पारीक, ओमप्रकाश मिश्र, काजल शर्मा, कृष्ण मोहन, नीलिमा अजीम, प्रथा मराठे, ब्राजेन मुखर्जी, भारती गुप्ता, भास्वती मिश्र, राममोहन, सास्वती सेन, जयकिशन (पुत्र), ममता (पुत्री), मधुकर आनंद, नीलम चौधरी आदि प्रमुख हैं।

Birju Maharaj

बिरजु महाराज (Birju Maharaj) के परिवार में नृत्य आनुवंशिक रहा। पिता अच्छन महाराज, पितामह कालिका प्रसाद, कालिका प्रसाद के भाई बिंदादीन महाराज- ये सभी अपने समय के अद्वितीय कलाकार थे। बिरजू महाराज ने अपनी प्रतिभा के बल पर अपने घराने की महत्वपूर्ण विशेषताओं को आत्मसात किया। पिता अच्छन महाराज से लयकारी, टुकड़े, परन, आमद और कुछ गतभाव सीखे; लच्छू महाराज से नृत्य में भावों की शिक्षा प्राप्त की तथा शंभू महाराज से टुकड़ों के भाव को सीखा।

बिरजू महाराज (Birju Maharaj) के होनहार पुत्र जयकिशन महाराज और पुत्री ममता अपने पिता से लखनऊ घराने की साधना को हृदयंगम कर परंपरा को आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील हैं। साथ ही बिरजू महाराज की अन्य पुत्रियां व पुत्र दीपक भी इसमें संलग्न हैं।

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p style=”text-align: justify;”>भारत सरकार की और से बिरजू महाराज (Birju Maharaj) को पद्मश्री, पद्मविभूषण, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास पुरस्कार और सोवियत संघ द्वारा नेहरू फैलोशिप जैसे सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

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