कौन हैं नक्सलियों की गिरफ्त से रिहा हुए कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह? जानें पांच दिनों का घटनाक्रम

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात कोबरा कमांडो (CoBRA Commando) राकेश्वर सिंह मनहास (Rakeshwar Singh Manhas)  को 3 अप्रैल के दिन नक्सलियों ने अगवा कर लिया था।

Rakeshwar Singh Manhas

रिहाई के बाद पद्मश्री धर्मपाल सैनी के साथ कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह।

Bijapur Sukma Encounter: राकेश्वर सिंह (Rakeshwar Singh Manhas) सीआरपीएफ (CRPF) की स्पेशल टास्क फोर्स ‘कोबरा’ के कमांडो हैं। ये फोर्स एंटी नक्सल ऑपरेशन (Anti Naxal Operations) में अहम भूमिका निभाती है।

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात कोबरा कमांडो (CoBRA Commando) राकेश्वर सिंह मनहास (Rakeshwar Singh Manhas)  को 3 अप्रैल के दिन नक्सलियों (Naxalites) ने अगवा कर लिया था। जैसे ही सरकार और सीआरपीएफ (CRPF) को इसकी सूचना मिली तो रिहाई के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाने लगा था।

नक्सलियों की गिरफ्त में आने और 8 अप्रैल को हुई रिहाई के बाद हर किसी के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिरकार राकेश्वर सिंह हैं कौन और किस तरह नक्सलियों की गिरफ्त में आए थे?

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सबसे पहले तो यह बता देते हैं कि राकेश्वर सिंह, सीआरपीएफ की स्पेशल टास्क फोर्स ‘कोबरा’ (CoBRA) के कमांडो हैं। ये फोर्स एंटी नक्सल ऑपरेशन में भूमिका निभाती है। राकेश्वर को करीब 2 साल पहले नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया था।

कैसे रिहा हुए राकेश्वर?

दरअसल, नक्सलियों से बातचीत के लिए गई 11 सदस्यीय टीम में पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया और 7 पत्रकार भी शामिल थे। राकेश्वर को सैकड़ों कमांडो की मौजूदगी में रिहा किया गया।

पांच दिनों के घटनाक्रम की बात करें तो 3 अप्रैल को मुठभेड़ के बाद जानकारी मिली थी कि एक जवान लापता है। इसके बाद नक्सलियों ने खुद सूचना दी थी कि जवान उनके कब्जे में है। सूचना मिलने के बाद मध्यस्थता की कवायद शुरू हुई। तीन दिन तक सरकार, सीआरपीएफ और नक्सलियों के बीच बातचीत हुई। आखिरकार 8 अप्रैल को तय हुआ कि कमांडो को रिहा किया जाएगा।

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