Bijapur Sukma Encounter: पहले भी होते रहे हैं बीजापुर जैसे हमले, 2013 में भी हुआ था ऐसा ही नक्सली हमला

Bijapur Sukma Encounter: पहले ऐसे कई हमले हो चुके हैं और हम अपने जवानों को खो चुके हैं। सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर नक्सली अपना खौफ बनाए रखना चाहते हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

Bijapur Sukma Encounter: पहले ऐसे कई हमले हो चुके हैं और हम अपने जवानों को खो चुके हैं। सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर नक्सली अपना खौफ बनाए रखना चाहते हैं। इस वजह से समय-समय पर इस तरह के बड़े हमलों को अंजाम देते रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए। नक्सलियों के संगठन पीपुल्स लिबरेशन ग्रुप आर्मी प्लाटून वन की यूनिट ने इस हमले को अंजाम दिया है। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ बीजापुर में यह ऑपरेशन चलाया था। पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में यह माओवादियों का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर इतना बड़ा हमला किया हो। इससे पहले ऐसे कई हमले हो चुके हैं और हम अपने जवानों को खो चुके हैं। सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर नक्सली अपना खौफ बनाए रखना चाहते हैं। इस वजह से समय-समय पर इस तरह के बड़े हमलों को अंजाम देते रहे हैं।

नक्सलियों ने बीते कुछ सालों में ऐसे हमलों को अंजाम दिया है जिसने देश को हिला कर रख दिया था। साल 2013 में नक्सलियों ने झीरम घाटी हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 29 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में कांग्रेस नेता समेत स्थानीय लोग भी शामिल थे। नक्सलियों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने चुनाव के लिए निकाली जा रहे एक क्रांग्रेस नेता के काफिले पर हमला कर दिया था। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि वहां 10 फीट का गड्ढा हो गया था।

6 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला गांव में नक्सली हमला हुआ था। इस हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। ताड़मेटला गांव के पास गश्त कर रहे सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। नक्सली पेड़ों के पीछे छिपे थे और जवान खुले मैदान में फंस गए थे। ये मुठभेड़ सुबह 6 बजे शुरू हुई थी।

इसके अलावा दंतेवाड़ा में 17 मई 2010 को एक यात्री बस में सवार होकर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगाकर हमला किया था। इसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे।

इनके अलावा श्यामगिरी (9 अप्रैल 2019), दुर्गपाल (24 अप्रैल 2017), दरभा (25 मई 2013), धोड़ाई (29 जून 2010), ताड़मेटला (6 अप्रैल 2010), मदनवाड़ा (12 जुलाई 2009), उरपलमेटा (9 जुलाई 2007), रानीबोदली (15 मार्च 2007) जैसे हमले शामिल हैं। इन हमलों में सुरक्षाबलों के अलावा आम नागरिकों को भी निशाना बनाया गया था।

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