नक्सलियों के खिलाफ रणनीति तैयार, उन्हीं के इलाके में घुसकर सुरक्षाबल करेंगे लाल आतंक का खात्मा

बिहार पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाई है। अब नक्सलियों के इलाके में ही उनकी घेराबंदी होगी। नक्सलियों का ठिकाना बने चकरबंधा के जंगलों में सुरक्षाबलों के लिए नए कैंप का निर्माण होगा।

Naxalites

नक्सलवाद के खात्मे के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार भी काफी सख्त रवैया अपना रही है।

बिहार पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाई है। अब नक्सलियों के इलाके में ही उनकी घेराबंदी होगी। नक्सलियों का ठिकाना बने चकरबंधा के जंगलों में सुरक्षाबलों के लिए नए कैंप का निर्माण होगा। यहां सुरक्षाबलों की स्थाई तैनाती होगी और नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

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सांकेतिक तस्वीर।

नक्सली बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाके में अधिक सक्रिय हैं। इनमें गया, औरंगाबाद, नवादा, लखीसराय, मुंगेर और जमुई के इलाके शामिल हैं। गया-औरंगाबाद की सीमा पर स्थित चकरबंधा के जंगल और पहाड़ उनके सबसे सुरक्षित ठिकाने माने जाते हैं। इन इलाकों में सुरक्षाबलों को तैनात किए गए तो इस इलाके से नक्सलियों (Naxalites) का सफाया निश्चित है। इन इलाकों में पहले से छह से ज्यादा कैंप मौजूद हैं, जहां सुरक्षाबल मुस्तैद रहते हैं।

बनाए जाएंगे नए कैंप

अब और कैंप बनाने की प्लानिंग है। गया और औरंगाबाद दोनों जिलों में कैंप बनाने की तैयारी है। इनमें एक कैंप तैयार हो चुका है। जल्द ही वहां सुरक्षाबल तैनात कर दिए जाएंगे। एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए स्थाई तौर पर कैंपों का निर्माण होता है। यहां सुरक्षाबलों को छोटी-छोटी टुकड़ियों में तैनात नहीं किया जाता है। सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी संख्या में इनकी तैनाती की जाती है। नए कैंपों में केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल और एसटीएफ की तैनाती की जा सकती है। यहां से सुरक्षाबल कई किलोमीटर के दायरे में सीधे नजर रख सकते हैं। इसके अलावा जब भी अभियान पर जाना होगा, वह जल्द से जल्द तय स्थान पर पहुंच सकते हैं। दूसरे इलाके में गश्त कर निगरानी रखी जा सकती है।

नक्सलियों के मूवमेंट पर पड़ेगा असर

चकरबंधा के इलाके में लम्बे समय से नक्सली मौजूद हैं। बिहार-झारखंड के टॉप नक्सली कमांडरों में शामिल संदीप इस इलाके में अपने दस्ते के साथ रहता है। वहीं, पिछले एक साल से शातिर नक्सली प्रमोद मिश्रा के भी चकरबंधा में रहने की बात सामने आई हैं। पहाड़ और जंगल होने के चलते सुरक्षाबलों को काफी परेशानी आती है, जिसका फायदा नक्सली (Naxalites) उठाते हैं। इन इलाकों में सुरक्षाबलों के नए कैंप बनने से नक्सलियों (Naxalites) के मूवमेंट पर असर पड़ेगा और वह पहले के मुकाबले छोटे इलाके में सीमित हो जाएंगे।

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