बिहार: 29 अगस्त को काले दिन के तौर पर मनाती है लखीसराय पुलिस, नक्सली हमले में 7 जवान हुए थे शहीद

वो 29 अगस्त 2010 का दिन था, जब कजरा थाना क्षेत्र के जंगली इलाकों में पहाड़ों पर नक्सलियों (Naxalites) की भारी भीड़ जमा थी।

Naxalites

फाइल फोटो

नक्सली मुठभेड़ में भूलन प्रसाद यादव सहित बीएमपी के 7 जवान घटनास्थल पर ही शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया था।

लखीसराय: बिहार में नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी है, फिर भी नक्सली अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस बीच आज (29 अगस्त) का दिन बिहार के लखीसराय के इतिहास में एक खौफनाक दिन के रूप में याद किया जाता है।

वो 29 अगस्त 2010 का दिन था, जब कजरा थाना क्षेत्र के जंगली इलाकों में पहाड़ों पर नक्सलियों की भारी भीड़ जमा थी। नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश में थे। इसी दौरान पुलिस को इस जमावड़े के बारे में सूचना मिली और पुलिस ने अभियान शुरू किया। जवानों को देखते ही नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों तरफ से मुठभेड़ शुरू हो गई।

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इस नक्सली मुठभेड़ में भूलन प्रसाद यादव सहित बीएमपी के 7 जवान घटनास्थल पर ही शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया था।

उस दिन के बाद से हर साल 29 अगस्त के दिन को जिला पुलिस काले दिन के रूप में याद करती है। शहीद जवानों में 3 सब इंस्पेक्टर और 4 पुलिसकर्मी थे।

इसके अलावा नक्सलियों ने ईएसआई रूपेश कुमार सिन्हा, अभय यादव और लुकस टेटे सहित 4 पुलिस अधिकारियों का अपहरण कर लिया था, जिसमें से नक्सलियों ने लुकस टेटे की हत्या कर दी थी।

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