सुप्रीम कोर्ट की बनाई 4 सदस्‍यीय कमेटी में शामिल भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस लिया, कही ये बात

किसान आंदोलन (Farmers Protest) का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा गठित की गई चार सदस्‍यीय कमेटी में शामिल भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) ने इस समिति से खुद का नाम वापस लेने का फैसला लिया है।

Bhupinder Singh Mann

फाइल फोटो।

पूर्व राज्‍यसभा सांसद सरदार भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं।

किसान आंदोलन (Farmers Protest) का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा गठित की गई चार सदस्‍यीय कमेटी में शामिल भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) ने इस समिति से खुद का नाम वापस लेने का फैसला लिया है।

भारतीय किसान यूनियन द्वारा जारी एक प्रेस स्‍टेटमेंट में भूपिंदर सिंह मान की तरफ से कहा गया, “केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए मुझे 4 सदस्यीय समिति में नामित करने को लेकर मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभारी हूं। एक किसान और स्वयं एक यूनियन नेता के रूप में, किसान संघों और आम जनता के बीच भावनाओं और आशंकाओं को देखते हुए मैं पंजाब या किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं। मैं खुद को समिति से हटा रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा।”

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पूर्व राज्‍यसभा सांसद सरदार भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई करते हुए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

इस कमेटी में भूपिंदर सिंह मान के अलावा डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल धनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कानूनों पर भी अगले आदेश तक रोक भी लगा दी थी।
कानूनों पर कमेटी के गठन के बाद से ही आंदोलन कर रहे विभिन्न किसान संगठनों के नेता सदस्यों पर निशाना साध रह थे।

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किसानों ने कमेटी में शामिल चारों सदस्यों को सरकार का समर्थक बताया था। किसानों का कहना है कि चूंकि सभी सदस्य सरकार के समर्थक हैं तो ऐसे में वे कानूनों को लेकर रिपोर्ट भी सरकार के पक्ष वाली ही देंगे। इस वजह से कमेटी के सामने किसानों ने अपनी बात रखने से भी इनकार कर दिया है।

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