विशाखापट्टनम गैस लीक हादसे ने याद दिला दी 2 दिसंबर की वह काली रात…

Bhopal Gas Tragedy: विशाखापट्टनम में हुए गैस लीक (Vizag Gas Leak) मामले ने सालों पुराने भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) की याद दिला दी।

Bhopal Gas Tragedy

Bhopal Gas Tragedy

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विशाखापट्टनम में एक कंपनी के केमिकल प्लांट में जहरीली गैस लीक (Vizag Gas Leak) होने की वजह से आठ लोगों की जान चली गई। यह दुर्घटना 7 मई की अहले सुबह करीब 2.30 बजे हुई। इस हादसे में कम से कम 5000 से ज्यादा लोग बीमार हो गए जिनमें 100 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। विशाखापट्टनम में हुए गैस लीक (Vizag Gas Leak) मामले ने सालों पुराने भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) की याद दिला दी।

एक ऐसा जख्म जो आज तक नहीं भर पाया। 36 साल पहले भोपाल में ऐसी ही एक दुर्घटना हुई थी, जिसे हम ‘भोपाल गैस कांड’ या ‘भोपाल गैस त्रासदी’ (Bhopal Gas Tragedy) के नाम से जानते हैं। यह हादसा विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में था। साल 1984 के 2 दिसंबर की वह काली रात। भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसका असर आज भी वहां के लोगों पर देखा जा सकता है।

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हालांकि, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ हादसा विशाखापत्तनम में हुए हादसे से कहीं ज्यादा डराने वाला और घातक था। 2-3 दिसंबर 1984 की बीच रात को यूनियन कार्बाइड की फर्टिलाइजर फैक्ट्री से जहरीले गैस का रिसाव शुरू हुआ और पूरे शहर में बादल की तरह छा गया। तब लोग सो रहे थे। सोने के दौरान कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। 

जिनकी जानें बच गईं, उनके फेफड़े कमजोर पड़ गए और आखें खराब हो गईं। इस हादसे का असर लोगों के जिस्म पर ही नहीं, उनके ज़ेहन पर भी पड़ा था। इनमें से कई की तो सुधबुध ही चली गई और वे मनोरोगी हो गए। यह जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइड थी। शुरू में डॉक्टरों को ठीक तरह से पता ही नहीं था कि क्या इलाज किया जाए। शहर में ऐसे डॉक्टर भी नहीं थे, जिन्हें इस गैस से पीड़ित लोगों के इलाज का कोई अनुभव रहा हो। इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर 3,000 लोग मारे गए थे और लगभग 1.02 लाख लोग प्रभावित हुए थे। 

बताते हैं कि उस हादसे (Bhopal Gas Tragedy) में मौत का वास्तविक आंकड़ा 15 हजार से ज्यादा था, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 3,787 मौतें ही दर्ज हैं। इस हादसे (Bhopal Gas Tragedy) से प्रभावित लोग अब भी कैंसर, ट्यूमर, सांस और फेफड़ों की समस्या जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। कुछ वक्त बाद भोपाल को जहरीली गैसों के असर से मुक्त मान लिया गया था, लेकिन साल 1984 में हुए उस हादसे से भोपाल आज भी उबर नहीं पाया है।

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