
Bhopal Gas Tragedy
भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) में मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था।
Bhopal Gas Tragedy: आज भोपाल गैस कांड की 36 वीं बरसी है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2-3 दिसम्बर, 1984 यानी आज से 36 साल पहले एक दर्दनाक हादसा हुआ था। इतिहास में जिसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया है। यह हादसा तब हुआ जब भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव होने लगा, जिससे लगभग 15,000 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए।
भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) में मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है, फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 बताई गई थी।
मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 लोगों के मरने की पुष्टि की थी, जबकि अन्य अनुमान बताते हैं कि 8,000 से ज्यादा लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर ही हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग रिसी हुई गैस से फैली बीमारियों के कारण मारे गए थे। उस भयावह घटना को फिर से याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं।
बता दें की दिसंबर के कड़ाके की सर्द रात थी, लोग चैन की नींद सो रहे थे। 2 दिसंबर, 1984 को भोपाल की छोला रोड स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में भी रोज की तरह अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर प्लांट एरिया में अपना काम संभाले हुए थे। लेकिन किसी को क्या पता था कि आज की रात हजारों लोग मौत की नींद सो जाएंगे।
बताया जाता है कि यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से करीब 40 टन गैस का रिसाव हुआ था। रिसाव की वजह यह थी कि टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस (मिक) का पानी से मिल जाना। इस वजह से हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से टैंक में दबाव पैदा हो गया जिससे टैंक खुल गया और उससे निकली गैस ने कुछ ही देर में हजारों लोगों की जान ले ली।
गैस का रिसाव रात 10 बजे के आसपास हुआ और 11 बजे के बाद इसका असर दिखने लगा और कुछ ही देर में आसपास के क्षेत्रों में फैल गया। कुछ ही देर में बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
बता दें कि साल 1984 में हुए गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) का दंश वर्तमान समय में तीसरी पीढ़ी भी भुगत रही है। 2-3 दिसंबर की रात यूनियन कार्बाइड के कारखाने से रिसी गैस का कुप्रभाव इतना अधिक था कि अब भी भोपाल की जेपी नगर व आसपास की करीब 48 बस्तियों में बच्चे कमजोर व बीमार पैदा होते हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो सुन नहीं पाते, अपने ही सहारे चल-फिर नहीं सकते।
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कई बच्चे ऐसे भी हैं जो सुनते हैं, लेकिन समझते नहीं, जबकि कुछ मानसिक रूप से कमजोर हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो जन्म के बाद से बिस्तर पर हैं। बता दें कि भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइड कारखाने (अब मालिक कंपनी डॉव केमिकल्स) से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) रिसी थी। उस हादसे में हजारों लोगों की मौत हुई थी और लाखों प्रभावित हुए थे।
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