कोर्ट ने माना, माओवादियों के साथ स्वामी ने ही रची थी देश में अशांति और सरकार गिराने की साजिश, जमानत देने का सवाल ही नहीं

स्वामी (Stan Swamy) की याचिका खारिज करने वाले स्पेशल जज डीई कोथलकर ने बताया कि उनका आदेश रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री पर आधारित है‚ जिससे लगता है कि स्वामी प्रतिबंधित माओवादी संगठन (Maoists) के सदस्य हैं।

Stan Swamy

एल्गार-परिषद केस: मुंबई में एनआईए (NIA) के स्पेशल कोर्ट ने एल्गार परिषद और माओवादी (Maoists) संबंधों के मामले में 83 वर्षीय जेसुइट पादरी और कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (Stan Swamy) को जमानत देने से इनकार कर दिया। इस दौरान कोर्ट (Special Court) ने बताया है कि प्रथम दृष्ट्या लगता है कि स्वामी ने देश में अशांति पैदा करने और सरकार को गिराने के लिए प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर गंभीर साजिश रची थी।

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स्वामी (Stan Swamy) की याचिका खारिज करने वाले स्पेशल जज डीई कोथलकर ने बताया कि उनका आदेश रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री पर आधारित है‚ जिससे लगता है कि स्वामी प्रतिबंधित माओवादी संगठन (Maoists) के सदस्य हैं।

कोर्ट (Special Court) ने जिस सामग्री का हवाला दिया है‚ उसमें करीब 140 ईमेल हैं‚ जिनका स्वामी (Stan Swamy) और उनके सह-आरोपी के बीच आदान-प्रदान हुआ है। तथ्य यह है कि स्वामी और अन्य लोगों के साथ उन्होंने संवाद किया‚ उन्हें ‘कॉमरेड’ कह कर संबोधित किया गया है और स्वामी को मोहन नाम के एक कॉमरेड से माओवादी गतिविधियों (Maoists) को कथित रूप से आगे बढ़ाने के लिए आठ लाख रुपए मिले।

जज कोथलकर ने अपने आदेश में बताया कि प्रथम दृष्टया यह पाया जा सकता है कि आवेदक ने प्रतिबंधित संगठन के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पूरे देश में अशांति पैदा करने और सरकार को राजनीतिक रूप से और ताकत का उपयोग कर गिराने के लिए एक गंभीर साजिश रची थी।

जज ने अपने आदेश में आगे बताया कि रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि आवेदक न केवल प्रतिबंधित संगठन भाकपा (Maoists)  का सदस्य था‚ बल्कि वह संगठन के उद्देश्य के मुताबिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा था‚ जो राष्ट्र के लोकतंत्र को खत्म करने के अलावा और कुछ नहीं है।

गौरतलब है कि स्वामी को एनआईए (NIA) ने 9 अक्टूबर 2020 को रांची से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा केंद्रीय जेल में बंद है। जज ने इस मामले में स्वामी की सह-आरोपी रोना विल्सन के कंप्यूटर के साथ कथित छेड़छाड़ को लेकर प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।

जज ने बताया कि मामले में साक्ष्य की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना अदालती कार्यवाही में दखल अंदाजी के समान होगा। स्वामी (Stan Swamy) ने पिछले साल नवम्बर में चिकित्सा आधार और मामले के गुण दोष के आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया था।

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