
बालबांका (Balbanka Tiwari) एक किसान परिवार से हैं और उन्होंने अभावों में अपना जीवन जिया। वह खुद बताते हैं कि 12वीं की पढ़ाई के बाद आरा से ओडिशा के राउरकेला चले गए थे।
देहरादून: एक कहावत है कि इंसान का समय बदलते देर नहीं लगती। 28 साल के बालबांका तिवारी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। भारतीय मिलिट्री अकैडमी (IMA) से शनिवार को ग्रेजुएट हुए बालबांका बिहार के आरा जिले के निवासी हैं।
28 साल के बालबांका तिवारी (Balbanka Tiwari) जब भारतीय सेना में एक सिपाही से ऑफिसर बने तो उन्हें देखकर मां मुन्नी देवी भावुक हो गईं। उन्हें वो दिन भी याद आ गए, जब उनके इस बेटे ने घर का खर्च चलाने के लिए 16 साल की उम्र में ही काम शुरू कर दिया था और वह 50 रुपए से 100 रुपए के लिए दिन में 12 घंटे काम करते थे।
बालबांका एक किसान परिवार से हैं और उन्होंने अभावों में अपना जीवन जिया। वह खुद बताते हैं कि 12वीं की पढ़ाई के बाद आरा से ओडिशा के राउरकेला चले गए थे। इस दौरान खर्च चलाने के लिए उन्होंने लोहे की फैक्ट्री में काम किया, इसके बाद वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगे।
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उन्होंने 2012 में भोपाल के EME सेंटर में दूसरी कोशिश में परीक्षा पास कर ली थी, इसके बाद वह 5 सालों तक सिपाही के तौर पर काम करते रहे। हालांकि उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और 2017 में सफल हुए।
उन्होंने कहा कि वे अपने परिणाम से बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा अपने एक रिश्तेदार से मिली थी। इसी वजह से उन्होंने ये सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए मेहनत की।
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