Atal Jayanti 2020: अटल बिहारी वाजपेयी को PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि, जानें कैसे हुई थी राजनीति में एंट्री

अटल जयंती के मौके पर उन्‍हें श्रद्धांजलि देने राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई बड़ी हस्तियां उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पहुंची।

Atal Bihari Vajpayee

Atal Jayanti 2020: अटल साल 1996 में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन इस दौरान उनका कार्यकाल केवल 13 दिनों का था। इसके बाद वह 13 महीने के लिए पीएम बने। वहीं 1999 में जब वह पीएम बने तो उन्होंने 2004 तक 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। अटल जयंती के मौके पर उन्‍हें श्रद्धांजलि देने राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई बड़ी हस्तियां उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पहुंची।

अटल जयंती पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल समेत केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी।

अटल 3 बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। उनका स्वभाव, भाषा और व्यवहार उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता था। उन्हें राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि राजनीतिक विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे।

अटल साल 1996 में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन इस दौरान उनका कार्यकाल केवल 13 दिनों का था। इसके बाद वह 13 महीने के लिए पीएम बने। वहीं 1999 में जब वह पीएम बने तो उन्होंने 2004 तक 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

पत्रकार से राजनेता बने थे अटल, ऐसे हुई थी राजनीति की शुरुआत

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार थे। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों-पत्रिकाओं का संपादन किया।

अटल बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उनमें देश सेवा करने की तीव्र ललक थी। भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निधन से उन्हें गहरा धक्का लगा था, इसी के बाद वह राजनीति में आए।

Christmas Day 2020: क्यों मनाते हैं क्रिसमस का त्योहार, जानें ईसा मसीह के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

दरअसल हुआ ये था कि 1953 में भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे। इसलिए वह परमिट सिस्टम का विरोध करने श्रीनगर चले गए। उस दौरान दूसरे राज्य के किसी भी व्यक्ति को अपने साथ पहचान पत्र रखना जरूरी था। इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ये वो दौर था, जब वाजपेयी वहां एक पत्रकार की हैसियत से पहुंचे थे।

इसी दौरान डॉ. मुखर्जी ने अटल से कहा था कि जाओ, दुनिया को बता दो कि मैं कश्मीर आ गया हूं और वो भी बिना किसी परमिट के। इस मामले के कुछ दिन बाद मुखर्जी की मौत हो गई थी। इस घटना से वाजपेयी को काफी दुख पहुंचा था और इसी के बाद वह मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में आ गए।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें