पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी ने इस तरह किया याद

अरुण जेटली (Arun Jaitley) को राज्यसभा सदस्य होने के नाते मिली नौ, अशोक रोड की कोठी बीजेपी कार्यकर्ताओं का निवास हुआ करती थी।

Arun Jaitley अरुण जेटली

अरुण जेटली (फाइल फोटो)

अरुण जेटली (Arun Jaitley) की आज पहली पुण्यतिथि है। आज बीजेपी जिस मुकाम पर है, उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है, उनमें अरुण जेटली (Arun Jaitley) अग्रणी हैं। उन्हें हम भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का अक्षयकोष कह सकते हैं। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे।

भारतीय राजनीति के आदर्श पुरुष, प्रबल राष्ट्रवादी, कुशल अधिवक्ता, बीजेपी के थिंक टैंक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) की आज पहली पुण्यतिथि है। 24 अगस्त 2019 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली थी। इसी के साथ एक संभावनाओं भरा राजनीति का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल बीजेपी के लिए बल्कि भारतीय राजनीति के लिए एक गहरा आघात है, अपूर्णीय क्षति है। वे भारतीय राजनीति में हमेशा एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे। राजनीति और बीजेपी के लिए उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। अपनी हाजिरजवाबी से विरोधियों को चित्त कर देने वाले और देशहित में नीतियां बनाने में माहिर जेटली का जीवन युवा राजनेताओं के लिए एक आदर्श है। प्रधानमंत्री मोदी को आज भी अपने दोस्त की कमी खलती है। जेटली जी की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने उन्हें याद किया।  

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अरुण जेटली (Arun Jaitley) का जन्म 28 दिसम्बर, 1952 को  दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ। उनके पिता एक वकील थे। जेटली की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, दिल्ली से हुई। उन्होंने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक की। उन्होंने 1977 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की। छात्र के तौर पर अपने कैरियर के दौरान, उन्होंने अकादमिक और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया है। जेटली 1974 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे। जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह कर लिया। उनके एक पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं।

कल्याणजी पुण्यतिथि विशेष: जिनके गाने के गुलदस्ते में तमाम ऐसे हिट गीत हैं, जो आज भी गुनगुनाए जाते हैं

आज बीजेपी जिस मुकाम पर है, उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है, उनमें अरुण जेटली (Arun Jaitley) अग्रणी हैं। उन्हें हम भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का अक्षयकोष कह सकते हैं। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे। वो गहन मानवीय चेतना के जुझारु, निडर, साहसिक व प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता, बावजूद इसके जेटली राजनीति के पुरोधा कहे जाते थे।

देश की राजनीति में नए चेहरों को उतारने का प्रयोग करने में जेटली (Arun Jaitley) को महारत हासिल थी। इसकी बदौलत कई चेहरों को राजनीति के दंगल में उतरने का मौका मिला और उनका यह प्रयोग सफल भी हुआ। यही वजह थी कि संगठन व चुनाव के चेहरों पर अब तक उनके अनुभवों का प्रयोग बीजेपी ने किया है। हालही में लोकसभा चुनाव जीतकर आए क्रिकेटर गौतम गंभीर इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं। तभी तो कई स्तर पर राजनीतिक विरोध के बावजूद अरुण जेटली के कद के सारे विरोध धरे के धरे रह गये।

दिल्ली निगम की राजनीति में विपक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय को सक्रिय राजनीति में लेकर आने का श्रेय भी जेटली को ही जाता है। इसके अलावा उन्होंने कई नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें स्वतंत्रता से आगे बढ़ने का मौका दिया है। इन नेताओं में बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी, आरपी सिंह, आशीष सूद जेसै लोग शामिल हैं। 

जेटली (Arun Jaitley) को राज्यसभा सदस्य होने के नाते मिले नौ, अशोक रोड की कोठी बीजेपी कार्यकर्ताओं का निवास हुआ करता था। नब्बे के दशक में पीएम मोदी को जब पार्टी का महासचिव बनाया गया था वो जेटली के आवास पर ही एक अलग बने कमरे में रहते थे। तभी से दोनों के रिश्ते प्रगाढ़ हो गये।

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को उस पद पर बिठाने को लेकर लिए गए फैसले में भी उनकी भूमिका मानी जाती है। दिल्ली में पार्टी की जिम्मेदारी संभालते समय नरेंद्र मोदी भी उनके अशोक रोड स्थित आवास में ही रहते थे। गुजरात में गोधरा के दंगे हुए तो अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी को हटाने के पक्ष में थे। तब गोवा में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक्शन होना था। मगर यह जेटली (Arun Jaitley) ही थे, जिन्होंने आडवाणी के साथ मिलकर मोदी के पक्ष में पार्टी के ज्यादातर नेताओं को खड़ा कर दिया।

ये भी देखें:

वे (Arun Jaitley)  अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे लेकिन वे ज्यादा करीबी लालकृष्ण आडवाणी के माने जाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमृतसर से लोकसभा चुनाव को हारने के बावजूद उनको मंत्री बनाया गया और बार-बार बीमार होने पर भी तब तक उन्हें मंत्री बनाए रखा गया, जब तक उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसके लिए अपील नहीं की। दूसरे कार्यकाल में उनके मंत्री न बनाने की अपील के बाद खुद प्रधानमंत्री उनके घर गए और करीब घंटे भर उनके साथ रहे। तभी लोगों ने यह अंदाजा लगाया कि जेटली की हालत ज्यादा खराब है। एम्स में भी जैसे ही वे भर्ती हुए तो प्रधानमंत्री उन्हें देखने गए थे।

हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार रखने वाले जेटली का दर्जा मोदी सरकार में सबसे ज्यादा था। दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनाव के आखिर में देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को दिल्ली में मुख्यमंत्री की चेहरा बनाना हो या विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में बीजेपी के साथ नीतीश की सरकार बनाना हो, ये सभी फैसले अरुण जेटली के माने जाते हैं। दिल्ली में भले ही उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन सालों दिल्ली बीजेपी का हर फैसला उनकी सहमति से ही होता रहा। दिल्ली बीजेपी में केदारनाथ साहनी, विजय कुमार मल्होत्रा और मदन लाल खुराना का दबदबा खत्म होने के बाद सबसे असरदार नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) ही माने जाते। बेशक जेटली अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने सफल राजनीतिक जीवन के दम पर वे हमेशा भारतीय राजनीति के आसमान में एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें