भारत-चीन सीमा विवाद: इस भारतीय के चक्रव्यूह में फंसकर पीछे हटा चीन, अकेले ही निकाल दी चीनी ‘वार जोन कैंपेन’ की हवा

चीन को अपने इस कैंपेन के तहत कमजोर देश की ऐसी जमीन को हड़पना होता है जिसका वह जमीनी तौर पर अपनी सेना या किसी अन्य काम के लिए इस्तेमाल नहीं करती है। यह नीति ऐसे समय क्रियान्वित की जाती है। साथ ही साथ चीन की एक रणनीति भी होती है‚ जिसके तहत वह दुश्मन देश की छोटी हार को मीडिया में बड़ी विजय के रूप में पेश करता है।

MM Naravane

फाइल फोटो

लद्दाख में सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को ऐसे ही नहीं मुंह की खानी पड़ी। इसके पीछे आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे (Lt Gen MM Naravane) का तेज दिमाग काम कर रहा था। उन्होंने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि चीनी सेना को वापस अपने तंबू में जाना पड़ा। सेना के इस जांबाज अफसर की रणनीति में फंसने का मतलब चीनी सेना (PLA) को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ती।

आर्मी चीफ ने चीन पर अपने अनुभव के चलते ड्रैगन के वार जोन कैंपेन की हवा निकाल दी। चीन अपने इस कैंपेन का दुरुपयोग उन कमजोर राष्ट्रों के खिलाफ करता है जिनकी खाली पड़ी जमीन को हथियाने में उसकी दिलचस्पी रहती है। लेकिन सेना के इस जांबाज़ अफसर (Lt Gen MM Naravane) की रणनीति के सामने इस बार चालबाज चीन की एक न चल पायी। पीएलए (PLA) अपनी इस नीति के लिए दुनियाभर में कुख्यात है।

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गौरतलब है कि महू स्थित वार कॉलेज में कमांडेंट के तौर पर नरवणे (Lt Gen MM Naravane) ने चीन के वार जोन कैंपेन की नीति का व्यापक अध्ययन कर 2012 में रिसर्च पेपर जारी किया था। ड्रैगन की सेना (PLA) अपनी इस कैंपेन की नीति के तहत भविष्य के युद्ध छोटे और आक्रामक होने की रणनीति बनाती है। इसके अनुसार‚ चीन की सेना इस रणनीति पर काम करती है कि कम समय में ही छोटे क्षेत्र में इतनी तेजी से हमला किया जाए कि सामने वाली सेना संभल भी नहीं पाए। इस वार जोन कैंपेन के तहत पीएलए एक ज्वाइंट कमान हेड क्वार्टर के तहत लड़ती है यानी सेना की तीनों यूनिट एक सामंजस्य के साथ आक्रमण करती है।

काफी दिनों तक अध्ययन करने के बाद नरवणे (Lt Gen MM Naravane) ने कहा था चीन को अपने इस कैंपेन के तहत कमजोर देश की ऐसी जमीन को हड़पना होता है जिसका वह जमीनी तौर पर अपनी सेना या किसी अन्य काम के लिए इस्तेमाल नहीं करती है। यह नीति ऐसे समय क्रियान्वित की जाती है। साथ ही साथ चीन की एक रणनीति भी होती है‚ जिसके तहत वह दुश्मन देश की छोटी हार को मीडिया में बड़ी विजय के रूप में पेश करता है। इस लेख के आठ साल बाद जनरल नरवणे (Lt Gen MM Naravane) को मौका आ गया जब उन्हें चीन की इस नीति का जवाब देना था और वही किया।

ड्रैगन की सेना को पहले ही चरण में मात दी यानी जैसे ही चीन ने गलवान घाटी के फिंगर एरिया में अपनी सेना की तैनाती शुरू की‚ वैसे ही भारत ने वहां मिरर डिप्लायमेंट (दुश्मन की गतिविधियों पर नजर) कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि चीनी सेना अपनी हैवी टैंक व स्ट्राइकिंग यूनिट नहीं ला पायी और कैंप में ही दुबक कर रह गई।

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