भारत-चीन सीमा विवाद: अजीत डोभाल के मोर्चा संभालते ही गलवान से चुपचाप पीछे लौटी ड्रैगन की सेना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो लद्दाख जाने का अचानक प्लान बना, वह डोभाल (Ajit Doval) की रणनीति का हिस्सा था। डोभाल के प्लान की वजह से ही किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी थी।

Ajit Doval

Ajit Doval

भारत और चीन (India China) में सीमा पर जारी तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्रि वांग यी के साथ बातचीत की। जिसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान घाटी में चीनी सेना पीछे हट गई है। सैन्य सूत्रों के अनुसार ये बातचीत सौहार्दपूर्ण और दूरदर्शी तरीके से हुई।

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एनएसए डोभाल (Ajit Doval) और चीनी विदेश मंत्रि वांग यी की बातचीत पूरी तरह से और स्थायी तौर पर शांति वापस लाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक साथ काम करने पर केंद्रित रहा।

डोभाल (Ajit Doval) की अचूक रणनीति

गौरतलब है कि लद्दाख संकट पर डोभाल पहले से ही सक्रिय हैं और चीन की हर हरकत पर उनकी नजर भी है। बताया जाता है कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो लद्दाख जाने का अचानक प्लान बना, वह डोभाल (Ajit Doval) की रणनीति का हिस्सा था। डोभाल के प्लान की वजह से ही किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी थी।

दूसरी तरफ चीनी घुसपैठ की कोशिश के बाद जिस तरह भारत ने आक्रमक तरीके से उसका जवाब दिया उसे भी डोभाल (Ajit Doval) की रणनीति बताया जाता है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के हवाले से जानकारी दी कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि भारत और चीन के बीच 30 जून को हुई तीसरी कमांडर स्तर पर वार्ता के बाद दोनों देश सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों को पीछे करने और

उनकी संख्या कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पीछे हटने को लेकर दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बनी है। इसमें पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवान घाटी), पीपी -15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया शामिल है। गौरतलब है कि 3 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह की यात्रा के बाद ये घटनाक्रम सामने आये हैं। इस दौरान उन्होंने चीन को निर्णायक और दृढ़ संदेश भेजा था।

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