कश्मीर को अफगानिस्तान से जोड़ पाकिस्तान ने चली थी गहरी चाल, मिला करारा जवाब

कश्मीर मुद्दे से अफगानिस्तान को जानबूझकर जोड़ने का पाकिस्तान का मकसद अफगान की धरती पर जारी हिंसा को और बढ़ाना है। रहमानी ने कहा कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष का बयान उन सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात के ठीक विपरीत है

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कश्मीर को अफगानिस्तान से जोड़ पाकिस्तान ने चली थी गहरी चाल, मिला करारा जवाब

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कश्मीर के तनाव को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया से जोड़ा था। उनके इस बयान पर अमेरिका में अफगानिस्तान की राजदूत रोया रहमानी भड़क उठीं। उन्होंने पाक राजदूत के बयान की निंदा करते हुए इसे लापरवाह, अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना बताया है। पाकिस्तानी राजदूत ने बयान में कहा था कि कश्मीर में मौजूदा तनाव के कारण अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

इस पर अफगानिस्तान एम्बेसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत असद माजिद खान के बयान की कड़ी निंदा करता है कि कश्मीर में चल रहे तनाव के कारण अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। ऐसी कोई भी टिप्पणी जो भी कश्मीर के तनाव को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया से जोड़ती है वह गैर-जिम्मेदाराना है।’ उन्होंने कहा कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है।

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कश्मीर मुद्दे से अफगानिस्तान को जानबूझकर जोड़ने का पाकिस्तान का मकसद अफगान की धरती पर जारी हिंसा को और बढ़ाना है। रहमानी ने कहा कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष का बयान उन सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात के ठीक विपरीत है जो अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की हालिया यात्रा के दौरान उनके, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तथा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान का यह बेहूदा तर्क है ताकि उसे तालिबान के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेने का बहाना मिल जाए।’ रहमानी ने आगे कहा कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान से कोई खतरा नहीं है। ऐसी कोई वजह नहीं, जिससे यह साबित हो कि पाकिस्तान को पश्चिमी सीमा पर भारी तादाद में सेना तैनात करने की जरूरत है। गौरतलब है कि भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले पर पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान ने इस मामले को यूएनएससी में भी उठाने की कोशिश की, जहां उसे मुंह की खानी पड़ी थी।

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