भारत में बढ़ता जा रहा है ओमिक्रॉन का खतरा, वैज्ञानिकों ने किया आगाह

स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार इस साल जून से अगस्त के बीच ही 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। देश भर में सीक्वेंसिंग के लिए 288 जगहों की पहचान की गई।

Coronavirus Omicron

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भारतीय वैज्ञानिकों को जो आशंका थी आखिरकर अब वही हो रहा है‚ ओमिक्रॉन (Omicron) ने भारत में दस्तक दे दी है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों में यह पाया गया है उसमें एक व्यक्ति की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।

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ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग से यह पता लग पाया कि वह ओमिक्रॉन (Omicron) वेरिएंट से संक्रमित है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि सरकार को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीनोम सिक्वेंसिंग करे। इससे इस वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई जा सकेगी। यदि समय रहते जीनोम सिक्वेंसिंग की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ सकती है। हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग की रफ्तार काफी कम हो गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार इस साल जून से अगस्त के बीच ही 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। देश भर में सीक्वेंसिंग के लिए 288 जगहों की पहचान की गई‚ लेकिन इनमें से ज्यादातर राज्यों से पर्याप्त सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए नहीं आ रहे हैं।

इस साल जनवरी में 2207‚ फरवरी में 1321‚ मार्च में 7806‚ अप्रैल में 5713‚ मई में 10488‚ जून में 12257‚ जुलाई में 6990 और अगस्त में 6458 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई। लेकिन इसी साल सितम्बर में 2100 और उसके बाद अक्टूबर में करीब 450 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए पहुंचे हैं।

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नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरालोजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिनेश कार्तिकेय ने कहा कि शरीर में कोशिकाओं के अंदर के जेनेटिक मटेरियल को जीनोम कहा जाता है। कोशिका के भीतर एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है। इससे जीनोम में होने वाले बदलाव के बारे में पता चलता है। यह बदलाव पुराने वायरस से कितना अलग है यह भी बतलाता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वित्त सचिव डॉ. अनिल गोयल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के नियम के मुताबिक कुल संक्रमित मरीजों का कम से कम 5 प्रतिशत केस का जीनोम सीक्वेंस होना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकारों को इस साल दिशानिर्देश जारी किए गए थे कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए संक्रमित जगहों से 30 सैंपल भेजे जाएं। लेकिन राज्यों की ओर से भी अगस्त महीने के बाद से इस दिशा में लापरवाही बरती जा रही है। जानकारी के अनुसार भारत में 19 राज्यों ने तय लक्ष्य के अनुसार नमूने नहीं भेज रहे हैं।

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