26/11 आतंकी हमला, फाइल फोटो
खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा (Lashkar-E-Taiyyaba) ने भारत पर सबसे खतरनाक हमला 26 नवंबर 2008 (26/11 Mumbai Attack) को हुआ था। यह दिन भी हमेशा दौड़ते रहने वाली मुंबई के लिए एक आम दिन की तरह ही था। लेकिन दोपहर के बाद मुंबई के लिए यह दिन इतना बुरा साबित हुआ जिसकी कल्पना पूरे देश ने नहीं की थी। शाम की पहर दस्तक देने वाली थी और तब ही अचानक मुंबई के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलियों की तड़तड़ाहट ने पूरी दुनिया की नजर मायानगरी पर टिका दी।
टर्मिनल पर मौजूद थे सैकड़ों लोग: उस वक्त टर्मिनल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे और इसी भीड़ में शामिल लश्कर के दो आतंकियों (Terrorists) ने अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इतना ही नहीं आतंकवादियों ने हैंड ग्रेनेड भी फेंके। उस दिन अपनी मंजिल पर जाने के लिए वहां स्टेशन मौजूद रहे कई यात्री आज भी इस भयानक वारदात दिन को नहीं भूल पाए हैं। 58 लोगों का तो सफर उस दिन अधूरा ही रह गया। यह सभी लोग कभी अपने मंजिल पर नहीं पहुंच पाए।
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लेकिन इससे पहले की लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर हुए हमले से संभलते आतंकियों (Terrorists) ने ने ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफ़े, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले शुरू कर दिया थे।
एक साथ कई जगहों पर हो रहे थे हमले: आधी रात होते-होते मुंबई के कई इलाकों में हमले हो रहे थे। शहर में चार जगहों पर मुठभेड़ चल रही थी। पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बल भी मैदान में डट गए थे। एक साथ इतनी जगहों पर हमले (26/11 Mumbai Attack) ने सबको चौंका दिया था जिसकी वजह स आतंकियों (Terrorists) की संख्या का भी पता लगाना मुश्किल हो गया था।
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आतंकियों ने 7 विदेशी मेहमानों को बना लिया था बंधक: ताज होटल में तो आतंकियों (Terrorists) ने 7 विदेशी मेहमानों समेत कई लोगों को बंधक भी बना लिया था। 27 नवंबर की सुबह एनएसजी के कमांडो आतंकवादियों का सामना करने पहुंच चुके थे। सबसे पहले होटल ओबेरॉय में बंधकों को मुक्त कराकर ऑपरेशन 28 नवंबर की दोपहर को खत्म हुआ था, और उसी दिन शाम तक नरीमन हाउस के आतंकवादी भी मारे गए थे।
पकड़ा गया अजमल कसाब: होटल ताज के ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में 29 नवंबर की सुबह तक का वक्त लग गया था। जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे। खासतौर से ताज होटल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया। 29 नवंबर की सुबह तक नौ हमलावरों का सफाया हो चुका था और अजमल क़साब के तौर पर एक हमलावर पुलिस की गिरफ्त में था। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ चुकी थी लेकिन लगभग 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी।
तीन दिन तक आतंकियों से लड़ते रहे जवान: तीन दिन तक सुरक्षा बल आतंकवादियों से जूझते रहे। इस दौरान, धमाके हुए, आग लगी, गोलियां चली और बंधकों को लेकर उम्मीद टूटती जुड़ती रही और ना सिर्फ भारत से सवा अरब लोगों की बल्कि दुनिया भर की नज़रें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी रहीं।
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