मासूमों को बनाता था नक्सली (Naxali), अब पुलिस के सामने उगल रहा साथियों का राज
पुलिस ने नक्सल ठिकानों से एक एलएमजी, एक एके-47, एक SLR, 3 इंसास, 6 रायफल, 7 वॉकी टॉकी, 3347 राउंड कारतूस, 32 मैगजीन, 10 बंडल कोडेक्स वायर और 20 थान काला सूती कपड़ा सहित अन्य सामान बरामद किए हैं।
नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ में आदिवासी लड़की ने खोला पहला मेडिकल स्टोर
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले का अबूझमाड़। घनघोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र। आए दिन यहां नक्सली अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। बाहर के लोग इस इलाके से गुजरने से भी कतराते हैं। नक्सलियों ने इसे लिबरेटेड ज़ोन घोषित कर रखा है।
नक्सलियों के चुनावी बहिष्कार को ठेंगा दिखाते ग्रामीण आदिवासी
नक्सली क्षेत्रों में रहने वाले लोग नक्सलियों से बिना खौफ खाए मताधिकार का प्रयोग करने लगभग 30 किलोमीटर पैदल चलकर भी जाते हैं। इनका ये जज़्बा नक्सलवाद और इसके समर्थकों के मुंह पर जोरदार तमाचा है। छत्तीसगढ़ के कांकेर लोकसभा क्षेत्र में आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां के मतदाता 90 किलोमीटर तक का सफर तय कर वोट डालने जाते हैं।
नक्सल विचारधारा से तंग आकर 9 नक्सलियों ने डाले हथियार
नक्सल संगठनों की दोहरी नीतियों से आजीज आकर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नौ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्समर्पण कर दिया है। पुलिस के अनुसार, नक्सलियों बंजाम राजा, बंजाम आयता, मडकम सुला, किच्चे गंगा, मडकम मुक्का, बंजाम सोमडू, मडकम भीमा, पोज्जा उर्फ पोदिया और बण्डो केशा ने आत्मसमर्पण कर दिया है।
बस्तर की नम्रता ने हासिल की UPSC में 12वीं रैंक, पहले भी कर चुकी हैं क्वालीफाई
नम्रता दक्षिणी बस्तर के गीदम कस्बे की रहने वाली हैं। इस छोटे से कस्बे में जन्मी और पली-बढ़ी नम्रता जैन ने इस बार यूपीएससी की परीक्षा में 12वीं रैंक लाकर बस्तर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। नम्रता पहले 2016 में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर 99वां रैंक लाई थीं। नम्रता को आईपीएस का कैडर मिला था।
Chhattisgarh : 3 खूंखार नक्सलियों ने डाले हथियार, 6 लाख रुपए का था इनाम
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 4 अप्रैल को तीन इनामी नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सरेंडर करने वालों में एक महिला नक्सली भी शामिल है। तीनों ही अलग-अलग इलाकों में सालों से आतंक का खेल खेल रहे थे।
छत्तीसगढ़ पुलिस को बड़ी सफलता, 10 नक्सलियों ने एक साथ किया सरेंडर
नक्सल संगठन द्वारा शोषण से तंग आकर दो महिला नक्सलियों समेत 10 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्समर्पण करने वाले नक्सली अपने संगठन के नेताओं के शोषण एवं प्रताड़ना से तंग आ चुके थे। इसलिए आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया। ये सभी नक्सली सुकमा जिले के कोंटा थाना में बालेंगतोंग गांव के रहने वाले थे।
खेल के जरिए गरीब बच्चों की जिंदगी में रोशनी भर रहे 89 साल के धर्मपाल सैनी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सली इलाके बस्तर (Bastar) में 89 वर्षीय धर्मपाल सैनी (Dharmpal Saini) 43 साल से आदिवासी लड़कियों को स्कूल तक लाने की मुहिम में जुटे हैं। इसके लिए उन्हें 1992 में पद्मश्री से भी नवाजा गया।
पुरानी मान्यताओं को तोड़ कर आगे बढ़ रहा आदिवासी समाज
गिरीडीह जिले के पंकज कुमार दास और पुष्पा कुमारी के साथ हुआ था। इन दोनों के बचपन का प्यार लगभग तीन वर्ष पूर्व एक मंदिर में शादी के बंधन में बंधकर सम्पन्न हुआ था।
ज़िंदगी की तलाश में इनामी नक्सली सोनमती ने किया सरेंडर
सोनमती एक प्रशिक्षित नक्सली है। उस पर एक लाख का इनाम भी घोषित था। वह साल 2016 में नक्सली संगठन से जुड़ी।
आत्म-सम्मान की खातिर इस खूंखार नक्सल कपल ने किया सरेंडर
मधि का कहना है कि हम कई महीनों से आत्मसमर्पण करना चाहते थे। लेकिन इसके लिए हमें सही मौके की तलाश थी। हमने अपने साथियों से कहा कि हम कुछ दिनों के लिए गांव जा रहे हैं। चूंकि हम लंबे समय से संगठन से जुड़े हुए थे, इसलिए किसी को भी हम पर शक नहीं हुआ।
किसी विचारधारा नहीं बल्कि नक्सल नेताओं की मर्जी से चल रहे संगठन
नक्सलियों के शहरी नेटवर्क की जिम्मेदारी संभालने वाले दंपति नन्दू उर्फ विवेक और उसकी पत्नी सती उर्फ कमला उर्फ कोमल कुमेंटी ने 13 फरवरी को आईजी रतनलाला डांगी के सामने सरेंडर कर दिया था।
नक्सल-आंदोलनों में दोतरफा पिसती हैं महिलाएं
सुचित्रा के अनुसार महिलाओं को कभी उनकी ख़ुद की पहचान से नहीं देखा जाता है। महिलाएं युद्ध में दोनों तरफ से पिसती हैं। एक सैनिक के तौर पर भी और एक साधारण औरत के तौर पर भी।
जब महिला नक्सली को अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ करना पड़ा सरेंडर…
नक्सल संगठनों के अत्याचार से तंग आकर एक महिला नक्सल कमांडर ने अपने दुधमुंहे बच्चे साथ सरेंडर कर दिया।
जंगल में 18 साल तक अलापता रहा हिंसा का राग, मौत के डर ने दिखाई जिंदगी की राह
साउथ बस्तर डिवीजन के चेतना नाट्य मंडली के इंचार्ज मड़कम अर्जुन ने सुकमा जिला प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 18 साल तक नक्सली हिंसा में शामिल रहे अर्जुन पर 8 लाख रुपए का इनाम था।
आतंक के मुंह पर जोरदार तमाचा, कश्मीर के डेढ़ सौ युवा सेना में भर्ती
पुलवामा आतंकी हमले को अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है और इस बीच जम्मू-कश्मीर के 150 से भी अधिक युवक देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती हुए हैं।
आदिवासियों के हालात बदलने की एक कवायद ये भी
भरोसा जीतने के लिए आपस में बातचीत जरूरी होती है। गांव को नक्सल-मुक्त कर वहां शांति बहाल करने का जवानों का मकसद बिना गांव वालों के सहयोग के संभव नहीं था। वहां की बोली हल्बी है और जवानों को यह बोली बिल्कुल नहीं आती थी।