नक्सलवाद का सच

नक्सली दंपति वेट्टी हुर्रा और कलमु हुये ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। वेट्टी हुर्रा ‘‘मिलिशिया कमांडर’’ था, जबकि उसकी पत्नी कलमु हुये माओवादी मोर्चा संगठन क्रांतिकारी आदिवासी महिला संगठन (काम्स) की कार्यकर्ता थी।

एक दिन इन्हीं जंगलों में कुछ नक्सलियों की नजर उस मासूम पर पड़ी। वह लड़का इन नक्सलियों से बिल्कुल अंजान था। लिहाजा जब उन्होंने एक दिन उसे खेलने के लिए बंदूक दिया तो बिना हिचकिचाए उसने वो बंदकू उठा ली और उससे खेलने लगा।

एक समय वह खूंखार नक्सली था। 18 सालों तक बीहड़ों में रह कर उसने सिर्फ खून-खराबा किया। लेकिन कहते हैं न, जब जागो, तभी सवेरा...। तो आज वह उस अंधेरी दुनिया से निकल आया है।

नक्सली बामन ने बताया कि उसने सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। नक्सली कमांडर बामन बेको ने 4 जून को दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय पहुंचकर यहां पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव के सामने हथियार डाल दिया।

बिठली की जनसंख्या करीब 1100 है, जिसमें मुंडघुसरी में 700 और बांधा टोला की आबादी 400 है। इन गांवों में लगभग हर घर में शराब बनती है। यहां रहने वाले पुरुष, युवक नशे और जुए के आदी हो रहे हैं।

उसे लगता था कि गरीब और सताए हुए लोगों की जिंदगी बदलने के लिए वह संघर्ष कर रहा था। पर, उसके संघर्ष से कुछ भी नहीं बदला। उल्टा उसे एहसास हो गया कि वह जो तथाकथित संघर्ष कर रहा था, वह दरअसल एक ऐसा रास्ता है, जिसपर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में 9 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। जिनमें तीन इनामी नक्सली भी शामिल हैं।

इस नक्सली सरेंडर करने के बाद पुलिस को नक्सलियों के कई अहम राज़ बताए। जिसके चलते पुलिस वक्त रहते नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करने में सफल रही।

इस खूंखार महिला नक्सली के सिर पर 5 लाख का इनाम था। अब जबकि वह नक्सलियों की हकीकत से वाकिफ हो चुकी है तो अपना रास्ता बदलना चाहती है। अब वह उन नक्सलियों का खात्मा करना चाहती है जो मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं।

नक्सल एक ऐसी कौम बन गई है, जहां इंसानियत के लिए कोई जगह नहीं है। नक्सली किस हद तक गिर सकते हैं इसकी मिसाल है सरेंडर कर चुकी नक्सली सुनीता की दास्तान।

कुछ दिनों तक वो झारखंड के बीहड़ों में भटकता रहा और फिर एक दिन झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमाई जंगली इलाके में उसकी मुलाकात श्रीधर नाम के शख्स से हुई।

सरेंडर करने के बाद सोभी और सुमित्रा ने नक्सलियों की घिनौनी करतूतों की जो कहानी पुलिस के सामने बयां की उसे सुनकर सभी दंग रह गए।

नक्सली संगठनों की स्थिति ठीक नहीं है...संगठन अपने सिद्धांतों से भटक चुके हैं। वे अब कमजोर पड़ चुके हैं। लेवी के पैसों को लेकर संगठन के अंदर ही विवाद है...संगठन में महिलाओं का शोषण किया जाता है।

संगठन में पहाड़ सिंह ने अपने नाम के मुताबिक ही काम किया। उसने कई संगीन नक्सली वारदातों को अंजाम दिए जिसमें हत्या, लेवी वसूली, अपहरण जैसे घिनौने काम शामिल हैं।

भूरे बाल और हरे रंग के यूनिफॉर्म में 5 फुट 5 इंच के इस नक्सली को देखने के लिए वहां लोगों की भीड़ जमा थी। कुंदन पाहन सीपीआई माओवादियों का कमेटी सेक्रेट्री रहा था।

चुनावी माहौल के बीच छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 अप्रैल की शाम एक वारंटी नक्सली समेत चार नक्सलियों में एसपी, डीएस मरावी व नक्सल ऑपरेशन एएसपी, शलभ सिन्हा के सामने सरेंडर कर दिया। जिनका नाम वेट्टी मल्ला, सोड़ी लच्छा, मुड़ाम हुर्रा एवं रवा हुंगा है। इनमें से तीन एक-एक लाख रुपए के इनामी नक्सली हैं।

धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के 29 आदिवासी परिवारों की घर वापसी हो रही है। उनके वापस आने की कवायद शुरू हो गई है। सलवा जुड़ूम के दौरान नक्सलियों ने इनके घर जला दिए थे।

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