नक्सलवाद का सच

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जिला पुलिस बल ने नवीन पुलिस कैंप कटेकल्याण में शहीद कैलाश नेताम की याद में जिला स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता के दौरान राज्य की आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

जो लोग कभी आतंक की खेती किया करते थे वो आज मशरूम की फसल उगा रहे हैं। जी हां, छत्तीसगढ़ के जंगलों में लाल आतंक के बीज बोने वाले नक्सली, आज मशरूम की खेती कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में 4 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से 3 नक्सलियों पर सरकार की ओर से कुल सात लाख रूपए का ईनाम घोषित है।

23 साल के समीर उर्फ शशिरंजन उर्फ सबीर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वाला शशिरंजन गया जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के कोची गांव का रहने वाला है।

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है। पिछले कुछ दिनों में प्रशासन की नक्सियों के लिए पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर राज्य में कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।

छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिस को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी मिली है। सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर डीकेएमएस अध्यक्ष मड़ियाम भीमा ऊर्फ कांछा भीमा ने आत्मसमर्पण कर दिया।

झारखंड सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर बीते गुरुवार (19-09-2019) को गुमला पुलिस लाइन में भाकपा माओवादी कमांडर भूषण यादव उर्फ चंद्रभूषण यादव ने सरेंडर कर दिया।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिलने का खबर है। पुलिस के मुताबिक, आठ लाख रुपये के इनामी एक नक्सली कमांडर ने सरेंडर किया है।

नक्सलियों पर नकेल कसने की झारखंड पुलिस की मुहिम काफी रंग ला रही है। खबर है कि लातेहार जिले के खूंखार माओवादी कमांडर चंद्रभूषण यादव उर्फ भूषण यादव ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। हालांकि अभी इस माओवादी के सरेंडर को लेकर आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की गई है।

आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर के रहने वाले हैं। पुलिस के मुताबिक इन्होंने नक्सलियों के खून-खराबा वाली जिंदगी से तंग आकर इस रास्ते को छोड़ने की ठानी।

ओडिशा के मलकानगिरी को एक नई पहचान मिली है। नक्सल हिंसा के लिए कुख्यात इस क्षेत्र को नई पहचान दी है यहां की एक आदिवासी बेटी अनुप्रिया लाकरा (Anupriya Lakra) ने। इस इलाके से पहली बार कोई महिला पायलट बनी है।

पुष्पा की बीमारी के कारण विभाग ने उनका ट्रांसफर भी करना चाहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। गांव वाले भी ऐसी स्वास्थ्य कार्यकर्ता को जाने नहीं देना चाहते।

एम्स में दाखिला लेने वाली वह जिले की पहली गुर्जर महिला हैं। वहीं, सुरेश एक बुक-बाइंडर हैं, जिसने प्रशासनिक सेवा में 10 वीं रैंक प्राप्त की है।

सरेंडर के बाद अंजू ने बताया कि जब वो 7 साल की थी तब कुछ लोगों ने उसके भाई की हत्या कर दी थी। भाई की मौत का बदला लेने के लिए उसने इसी उम्र में नक्सली संगठन ज्वायन कर लिया।

एक पुलिस वाले की जिंदगी से प्रेरणा पाकर दो नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। खास बात यह है कि यह पुलिस वाला भी पहले नक्सली ही था और जिन नक्सलियों ने जिंदगी की बदलती सूरत को देख कर सरेंडर किया है वो उनके भाई-भाभी थे।

छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र के तीन जिलों में तीन इनामी नक्सलियों समेत पांच नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।

यहां नक्सली किस कदर बेलगाम थे इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां कभी नक्सली हथियारों की मंडी सजाते थे। बीच सड़क पर चादर या कोई अन्य सामान बिछा कर नक्सली अपने हथियार यहां खुलेआम सजा कर रखते थे।

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