गालिब एक पैगाम है कि अफजल के घर भी पैदा नहीं हुआ अफजल
अफजल का बेटा गालिब गुरु को भारतीय होने पर गर्व है। अपना आधार कार्ड बनने पर वह बहुत खुश है। वह उत्साहित है कि अब उसका भारतीय पासपोर्ट भी बन जाएगा।
Gone Gone Going… end game begins for Naxals
Good time to write an obituary of Naxal terror? Looks like that and figures available with us of the last 10 years clearly establish how Left wing extremists have suffered serious reverses.
हार्डकोर नक्सली दंपति ने किया सरेंडर, संगठन के शोषण से थे परेशान
सारंडा में सक्रिय सब जोनल कमांडर अनमोल दा दस्ते के हार्डकोर नक्सली दंपति ने एक साथ मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण किया। भाकपा माओवादी से जुड़े इस नक्सली दंपती पर सरकार ने एक-एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
पुलवामा शहीदों के परिवार की मदद के लिए 110 करोड़ रुपए दान करना चाहते हैं ये नेत्रहीन साइंटिस्ट
मुर्तजा हामिद राजस्थान के कोटा के निवासी हैं और मुंबई में रहते हैं। 110 करोड़ रुपए देने की कागजी कार्रवाई उनकी तरफ से पूरी कर ली गई है, वे पीएमओ के आदेश पर डीडी या चेक से भुगतान करेंगे।
जब खूंखार नक्सली की मासूम बेटी ने की नक्सलवाद को खत्म करने की मांग…
एक दुर्दांत नक्सली की मासूम बेटी ने निबंध में लिखा कि नक्सली विकास में बाधा पहुंचाते हैं। नेहा ने नक्सलियों के क्रूर रूप का भी ज़िक्र किया एवं बताया कि कैसे ये लोग आम आदमी पर ज़ुल्म करते हैं।
नक्सलियों का अपने ही संगठनों से हो रहा मोहभंग
अब स्थानीय कैडरों का नक्सलवाद से मोह भंग हो रहा है। वे मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं और क्षेत्र के विकास की बात भी कर रहे हैं।
नक्सली इलाकों में बढ़ रही मतदान को लेकर जागरुकता
नक्सलियों के आतंक पर भारी पड़ रहा छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों का जज्बा।
भीख मांगकर जमा किए हुए पैसे कर दिए शहीदों के नाम
देवकी शर्मा नाम की महिला चौराहे पर भीख मांगा करती थीं, इन्होंने भीख मांग कर 6 लाख रुपया इकट्ठा कर रखा था। 14 फरवरी को पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के कारण देवकी काफ़ी शोक में थीं। इसलिए अपनी जमा राशि शहीदों के परिजनों को दान कर दिया।
सुरक्षाबलों के काफिले के आस-पास अब कोई नहीं फटक सकता, सुरक्षा को लेकर नियमों में बदलाव
एक अनजान गाड़ी सुरक्षाबलों के काफिले के इतने करीब आखिर पहुंच कैसे गई? सुरक्षाबलों की इतनी बड़ी संख्या की सुरक्षा में आखिर कहां चूक हो गई? पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा को लेकर ऐसे तमाम सवाल खड़े हो गए हैं।
‘गांव व जिले का बागी रहा हूं, देश का नहीं…’
एक समय में बीहड़ में आतंक का पर्याय रहे डकैत मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हों लेकिन पुलवामा घटना से वे इतने आहत हुए हैं कि उन्होंने ऐलान किया है कि सरकार यदि अनुमति दे तो हम पाकिस्तान को धूल चटा देंगे।
“हमें सरहद पर लड़ने भेज दो, मर गए तो शहीद का दर्जा देना, लौट आए तो जेल में डाल देना”
जो लोग खुद कैद में हों, अपने किसी गुनाह की सजा काट रहे हों, लेकिन अगर देश पर आंच आए तो वे भी उठ खड़े हो जाएं। देश के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विपदा में ढाल बन जाएं। ऐसा तो हिंदुस्तान में ही हो सकता है।
पुलवामा के शहीदों के लिए स्टेट बैंक और क्रेडाई का बड़ा ऐलान
एसबीआई ने उन परिवारों को राहत देने के लिए छोटा सा कदम उठाया है, जिन्होंने अपनों को खोया है। बैंक ने भारत के वीरों के लिए यूपीआई भी बनाया ताकि लोग उनकी मदद के लिए आसानी से योगदान दे सकें।
पुलवामा शहीदों के बच्चों की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आया रिलायंस फाउंडेशन
रिलायंस फाउंडेशन ने भी पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनके बच्चों की पढ़ाई और नौकरी की पूरी जिम्मेदारी लेने की घोषणा की है।
Sudhakaran surrender: beginning of the end of Naxal movement?
Dreaded Naxal and someone who was on the most wanted list of security forces for nearly three decades Sudhakaran alias...
Naxal loss has been environment’s gain
In a world where nothing should take one by surprise it is still rare to find a combination of red terror and environment related activism. But then life throws up its share of surprises!
सवा करोड़ के इनामी नक्सली कपल सुधाकरण और नीलिमा ने डाले हथियार, नक्सलियों को बड़ा झटका
नए मुखिया के कमान संभालने के बाद नक्सली संगठन में सीनियर नक्सलियों का कद घटता जा रहा है। यही फूट की वजह बन रहा है।
13 लाख के इनामी नक्सल कपल ने किया सरेंडर, संभालते थे नक्सलियों का अर्बन नेटवर्क
सालों तक खून-खराबा किया। कई बड़ी वारदातों में शामिल रहा। एक तरफ, जहां हर वारदात के साथ नक्सल संगठन में उसका कद बढ़ता जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ उसके दिल में वापसी की इच्छा भी हिलोरें ले रही थी।