नक्सलवाद का सच

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की दंतेवाड़ा पुलिस (Police) को नक्सली उन्मूलन मोर्चे पर एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में एक इनामी नक्सली कमांडर (Naxali Commander) ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

नक्सली आम इंसानों के साथ हैवानों सा व्यवहार करने के लिए कुख्यात हैं। एक सच यह भी है कि यह नक्सली (Naxali) अपने संगठन (Naxal Organization) के लोगों से भी क्रूरता करने से पीछे नहीं हटते।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने नक्सलियों (Naxals) की अवैध संपत्ति से जुड़े मामले में एक शख्स को कोलकाता से गिरफ्तार किया है। झारखंड  (Jharkhand) में नक्सलियों के निवेशक मनोज चौधरी को एनआईए ने 1 मई को कोलकाता से गिरफ्तार कर रांची ले आई।

अब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों (Naxals) ने एक गांव का पुल तोड़ दिया। सबसे गंभीर बात यह है कि जिस पुल को नक्सलियों ने निशाना बनाया उसी पुल से होकर डॉक्टरों की मेडिकल टीम लोगों के इलाज के लिए आवाजाही करती है।

I learnt that Jamat-e-Islami is a key element of the Kashmir separatist movement. Processions being extremely vital means for keeping the sentiment alive, ensuring that the cause is seen as just, inciting youth for joining militancy and above all for attaching the element of honour with Jihad. These are funded by Pakistan, local religious bodies and even business community that owes, is forced or coerced to submit allegiance to the cause.

जो इलाका कल तक लाल आतंक के साए में था, जहां लोगों को हर पल नक्सलियों (Naxals) के दहशत में जीना पड़ता था, आज वहां शांति आ रही है और क्षेत्र विकास की ओर बढ़ रहा है।

झारखंड (Jharkhand) में नक्सलियों (Naxals) के विभिन्न संगठनों में मतभेद पैदा हो रहा है। राज्य में अलग-अलग नक्सली ग्रुप अपने ही वर्चस्व को लेकर आमने-सामने आ गए हैं।

देश में लॉकडाउन होने की वजह से नक्सलियों (Naxals) के भूखे मरने की नौबत आई है। दूसरी तरफ इनके कई साथी भी अब इनका साथ छोड़ रहे हैं।

कभी नक्सलियों (Naxals) के साथ मिलकर पुलिस पर गोली चलाने वाला लक्खा अब कोरोना (Coronavirus) जैसी महामारी से लड़ने में अपना योगदान दे रहा है।

कई निर्दोषों को मौत के घाट उतारा, दहशत फैलाई, अपने ही लोगों के साथ खून-खराबा किया। लेकिन, जब नक्सली संगठन (Naxal Organization) की हकीकत सामने आई तो मन पछतावा से भर गया।

अब वह नक्सलियों की हरी या काली वर्दी नहीं पहनाता बल्कि फोर्स की कामाफ्लॉज वर्दी पहनकर नक्सल विरोधी ऑपरेशनों में लाल आतंक (Naxalism) के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।

आत्मसमर्पित नक्सली (Naxali) करटामी वागा उर्फ बादल कुकानार क्षेत्र का रहनेवाला है। वह नक्सलियों के प्लाटून नंबर 26 का डिप्टी कमांडर है।

सिर्फ दस साल की उम्र में नक्सलियों (Naxalites) ने उसका अपहरण कर लिया था। अब वह 12 वर्ष की हो गई है। उसका नाम अब हार्डकोर नक्सलियों की सूची में शामिल हो चुका है।

गलती हर इंसान से होती है, पर गलती का एहसास कर उसे सुधारना सबसे बड़ी बात होती है। अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इंसान बड़ी से बड़ी गलती सुधार सकता है, भटके हुए राह से सही रास्ते पर वापस आ सकता है।

एक ऐसी सड़क जो अभी भी नक्सलियों के कब्जे में है। हमारे बहादुर जवान दिन-रात इस सड़क को नक्सलियों (Naxals) के कब्जे से मुक्त कराने में जुटे हुए हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में एक कुख्यात नक्सली दम्पत्ति (Naxali Couple) ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

अदालत में इस नक्सली के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले लिहाजा वो कोर्ट से छूट गया। लेकिन इसके बावजूद भी यह हार्डकोर नक्सली खुली हवा में सांस नहीं ले सकेगा।

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