नक्सलवाद का सच

पुलिस की टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर पीरटांड़ के घने जंगलों के बीच स्थित गांव लेढवा की घेराबंदी की और नक्सली (Naxalites) मनोज को दबोच लिया।

जिन नक्सलियों (Naxalites) को गिरफ्तार किया गया है उनमें हार्डकोर नक्सली पुनीत मंडल और हथियारों की सप्लाई करने वाले पूर्व नक्सली डब्लू चौरसिया भी शामिल हैं।

अशोक किरंदुल में अपने माता-पिता के साथ रहकर जिंदगी की जिम्मेदारियों को उठा रहा था। इस बीच नक्सलियों (Naxalites) ने उसकी हत्या कर दी।

बीजापुर से 35 किमी दूर स्थित पुसनार और मेटापाल गांव में बीते 2 दिन पहले नक्सली (Naxalites) पहुंचे थे और दोनों गांवों से 26 ग्रामीणों का अपहरण कर लिया।

Jharkhand: एसपी ने बताया कि इस नक्सली (Naxalites) पर सिमरिया और बालूमाथ थाना में एक-एक और लावालौंग थाने में 2 मामले दर्ज हैं।

नक्सलियों (Naxalites) ने धमकी दी है कि वे पुलिस के मुखबिरों और दलालों को जन अदालत में सजा देंगे। वहीं ग्रामीणों ने भी नक्सलियों के विरोध में पोस्टर लगाए।

उस समय नक्सली घटनाएं चरम पर थीं और पुलिस द्वारा नक्सलियों (Naxal) के घर में घुसकर इस प्रकार की कार्रवाई करना खतरे से खाली नहीं था।

लाल आतंक (Naxalism) अब अंतिम सांसें ले रहा है। बड़े नक्सली नेता (Naxali Leader) या तो मारे जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं या फिर आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

PLFI के इस कुख्यात उग्रवादी को टेंपू के नाम से जाना जाता है। हालही में 10 अगस्त को इसने सत्तेश्वर सिंह की अनजाने में हत्या कर दी थी।

पुलिस दिन-रात नक्सलियों (Naxalites) के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है। रात में पुलिस उनके ठिकानों पर दबिश दे रही है। जवानों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

एएसआई नागैय्या कोरसा 10 दिनों की छुट्टी लेकर रविवार को बाइक से अपने गांव चेरामंगी जा रहे थे। इसी दौरान नक्सलियों (Naxalites) ने उनका अपहरण कर लिया।

यह तीनों नक्सली (Naxalites) इतने खूंखार हैं कि तीनों का काम केवल खूनी खेल रचाना है। ये पुलिस को चकमा देने में बहुत माहिर हैं।

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि यह तीनों PLFI के उग्रवादी रांची शहर में ही छिपे हुए हैं और किराए का मकान ढूंढ रहे हैं। खबर पक्की होने पर यह कार्रवाई की गई।

झारखंड (Jharkhand) के नक्सल प्रभावित जिले चाईबासा में गुदड़ी के जंगल में शनिवार सुबह पीएलएफआई उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई।

पुलिस की कठोर कार्रवाई से नक्सलियों (Naxalites) में खौफ पैदा हो गया है। ऐसे में नक्सली, पुलिस और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

आयता ने भी जिंदगी के करीब 13 से इसी मुगालते में गुजार दिए कि वह अपने समाज और आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ रहा है। पर, जब असलियत से सामना हुआ तो संगठन में उसका दम घुटने लगा।

प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक माओवादियों (Maoists) ने 2006 से जुलाई 2020 तक मुखबिरी के शक में 294 हत्याएं कीं।

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