जबलपुर का यह गांव जांबाजों की खान है
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 330 किलोमीटर दूर बसा यह गांव राष्ट्रसेवा में हमेशा आगे रहा है। इस गांव से लगभग पचास लोग सेना और अर्धसैनिक बल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
एक मैसेज ने बचा ली CRPF के इस जवान की जान
जैसे ही थाका अपनी बटालियन के साथ कश्मीर जाने के लिए गाड़ी में बैठे, उनके फोन पर एक मैसेज आया जिसमें लिखा था कि आपकी छुट्टी मंजूर हो गई है। यह मैसेज पढ़कर बेलकर गाड़ी से नीचे उतर गए और उनकी जान बच गई।
शादी की बात करने आना था घर, आया तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर
साथियों को बचाने के लिए सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमान्डेंट नागसेप्पम मनोरंजन सिंह ने अपने सीने पर खाई गोलियां।
नवजात बेटे को भी सेना में भेजने का सपना है शहीद की विधवा का
पति की शहादत का जख्म अभी भरा ही नहीं था कि नवजात बच्चे को भी आगे चलकर भविष्य में सेना में भेजने की बात बड़े गर्व से कर रही हैं। यही तो सच्ची राष्ट्रभक्ति है।
Pulwama Attack: छुट्टी हो गई थी मंजूर, पर लौटकर वापस नहीं आए सुदीप
जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना होने से पहले बबलू सांतरा ने अपनी पत्नी को फोन किया था। उन्होंने कहा था कि एक घंटे के बाद वह कश्मीर पहुंच जाएंगे। उसके बाद फिर पत्नी को फोन करेंगे लेकिन दोबारा फोन तो जरूर आया लेकिन बबलू का नहीं बल्कि CRPF का जिसमें उनके शहीद होने की खबर आई।
Pulwama Attack: गर्भवती पत्नी और दिव्यांग बहन को बेसहारा छोड़ गए सिवाचंद्रन
सिवाचंद्रन का दो साल का एक बेटा है। उनकी पत्नी चार माह की गर्भवती हैं। इनके घर में अब कमाने वाला कोई नहीं है। सिवाचंद्रन के छोटे भाई की पिछले साल करंट लगने से मौत हो गई थी। उनकी बहन बोल नहीं सकतीं। वह अभी अविवाहित हैं। पूरे परिवार की जिम्मेदारी सिवाचंद्रन के कंधों पर ही थी।
दो दिन में उत्तराखंड की माटी ने खोए अपने दो वीर सपूत
मेजर ढौंडियाल की मां दिल की मरीज हैं। इसलिए उन्हें इस बारे में नहीं बताया गया था। बस इतना कहा गया था कि विभूति घायल हैं। उन्हें सबसे आखिर में बेटे की शहादत की सूचना दी गई।
अगले महीने ही होनेवाली थी मेजर बिष्ट की शादी
शहीद मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट 7 मार्च को होनेवाली अपनी शादी के लिए 28 फरवरी को घर आने वाले थे। आतंकवाद का दिया इससे बड़ा ज़ख्म और क्या हो सकता है। परिवार जहां बेटे के शादी में आने का इंतज़ार कर रहा था, आज पार्थिव शरीर का इंतज़ार कर रहा है।
Pulwama Attack: आखिरी बार पति का फोन भी नहीं उठा पाई और आ गई शहादत की खबर
कविता को गुरू का फोन आया था लेकिन वे उठा नहीं पाई थीं। जब उन्होंने वापस फोन किया तो गुरू का फोन पहुंच से बाहर आ रहा था। कविता के पास अपने पति से बात करने का आखिरी मौका था। लेकिन उनकी किस्मत में शायद ये था ही नहीं।
Pulwama Attack: कहा था “मेरी फोटो खींच कर रख लो पता नहीं कब बम विस्फोट हो और मैं चला जाऊं…” क्या पता था कि उनकी यह बात सच हो जाएगी
छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर जाते हुए मानेश्वर ने परिवार के लोगों से बातचीत करते हुए कहा था कि मेरी फोटो खींच कर रख लो पता नहीं कब बम विस्फोट हो और मैं चला जाऊं। क्या पता था कि उनकी यह बात सच हो जाएगी।
Pulwama Attack: 6 महीने पहले ही हुआ था पिता का निधन, अब बेटा भी हो गया शहीद
वसंत कुमार के परिवार पर यह दूसरी बार दुखों का पहाड़ टूटा है। वसंत के पिता वासुदेवन का छह माह पहले ही निधन हुआ है। तरक्की और बटालियन में बदलाव के बाद वसंत की कश्मीर में तैनाती हुई थी। इससे पहले वह पंजाब में तैनात थे।
Pulwama Attack: गरीब परिवार का एक मात्र सहारा थे अश्विनी, इसी साल होने वाली थी शादी
अश्विनी का परिवार बहुत ग़रीब है। उनके माता-पिता और तीन भाई दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाते हैं। इस वर्ष के अंत में उनकी शादी होने वाली थी।
Pulwama Attack: कुछ दिन पहले ही मनाया था बेटी का पहला जन्मदिन
अभी 16 जनवरी को ही मनोज ने बेटी का पहला जन्मदिन मनाया था और छह फरवरी को वे वापस ड्यूटी पर कश्मीर चले गये थे। मनोज ने श्रीनगर पहुंचकर वापस फिर से कॉल करने का वादा किया था।
Pulwama Attack: पुलवामा हमले में यूपी के देवरिया और महाराजगंज के जवान शहीद
सरकार ऐसा कदम उठाए, जिससे दोबारा फिर कभी भी किसी जवान को इस तरह से अपनी जान ना गंवानी पड़े।
Pulwama Attack: पिता की शहादत पर बेटी बोली, ‘मुझे हथियार दे दो मैं खुद बदला लूंगी…’
विजय के बड़े बेटे को पिता को खोने का दुख है। पर अब वह भी सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहता है। 14 फरवरी को उसका जन्मदिन था और उसी दिन पिता शहीद हो गये। शहीद होने से पहले विजय ने बेटे को जन्मदिन की शुभकामना दी थी।
Pulwama Attack: वादा किया था कि श्रीनगर पहुंच कर करूंगा कॉल, पर….
शहीद रमेश यादव के बेटे आयुष का पैर जन्म से ही टेढ़ा है, जिसका इलाज कराना है। पर डेढ़ साल के बेटे को क्या पता था कि पापा की जगह उनके शहादत की ख़बर आएगी। बेटे का इलाज कराने का वादा करके निकले रमेश को नहीं पता था कि वह अब कभी वापस नहीं आयेंगे।
Pulwama Attack: 22 दिन के बेटे का नामकरण भी नहीं कर पाए शहीद तिलकराज
शहीद तिलक राज के 22 दिन के बेटे ने तो अबतक अपने पिता को ठीक से पहचाना भी नहीं है। उनके जाने के तीन दिन बाद ही उसकी पत्नी को यह मनहूस खबर मिली कि उसका सुहाग उजड़ गया है। तिलक को लोकगायकी का भी शौक था। ड्यूटी के दौरान सीमा पर देश की रक्षा करने वाले तिलक घर पहुंचने पर गाने रिकॉर्ड करते थे। उन्होंने कई पहाड़ी गाने गाए हैं।