दुनिया की सबसे पॉवरफुल मिलिट्री: दुनिया में हमारा नंबर चौथा, जानें भारतीय सेनाओं के पास कितनी ताकत है
दुनिया की ताकतवर सेनाओं की बात होती है तो हमारा नंबर चौथे स्थान पर होता है। हमसे पहले यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका, रूस और चीन की सेनाएं आती हैं। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान 10वें स्थान पर है।
सेना द्वारा समय-समय पर दुश्मनों को दी जाती है चेतावनी, डिप्लोमेटिक स्तर पर भी घेरने की रहती है कोशिश
थल सेना अध्यक्ष हों या फिर वायुसेना या नेवी चीफ, हर कोई अपनी तरह से चेतावनियां देते हैं। इनके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी चेतावनियों के जरिए दुश्मनों को सोचने पर मजबूर करते हैं।
देश को नुकसान पहुंचाने के मकसद से घुसपैठिए करते हैं बार्डर क्रॉस, जानें कैसे खदेड़ते हैं जवान
देश को नुकसान पहुंचाने के मकसद से घुसपैठिये चुपचाप बार्डर में घुसने का प्रयास करते हैं। उन्हें रोकने के लिए हमारे जवान किसी भी चुनौती का सामना करने से पीछे नहीं हटते।
खतरे को देखते हुए सीमा पर बढ़ाई और घटाई जाती है सैन्य शक्ति, जानें ये क्यों है जरूरी
Indian Army: सैन्य शक्ति को बढ़ाने का सीधा मतलब यह है कि सैनिकों की संख्या में इजाफा किया जाता है और इसके साथ ही एडवांस कैटिगरी के हथियारों को तैनात कर दिया जाता है।
दुश्मन की हर नापाक चाल पर नजर रखती है सेना, माइनस 30 डिग्री तापमान में भी पीछे नहीं हटते कदम
Indian Army: कई बार ऐसा होता है कि ठंड लगने से सैनिकों की मौत हो जाती है या फिर वह बीमार पड़ जाते हैं। इन इलाकों में रहना अपने आप में ही हर दिन मौत से लड़ने जैसा होता है।
आतंकी साजिश ऐसे की जाती है नाकाम, देश की इंटेलिजेंस और सैनिक रहते हैं अलर्ट
Indian Army: सेनाएं और पुलिस हमेशा अलर्ट रहते हैं। किसी भी शक को भांपकर ऐसी आतंकी साजिशों को नाकाम किया जाता है। सैनिकों को खुली छूट होती है कि वे ऐसी साजिशों को किसी भी कीमत पर विफल करें।
सीमा पर कई इलाकों में जम जाती है 5 फीट तक बर्फ, फिर भी मौर्चे पर डटे रहते हैं जवान
Line of Control: एलओसी से सटे इलाकों में सर्दियों में बर्फ पड़ती है। वहीं सियाचिन एक ऐसा इलाका है जहां हमेशा बर्फ रहती है और तापमान माइनस 50 डिग्री तक रहता है।
कश्मीर के गुरेज में रहता है हिमस्खलन का खतरा, फिर भी देश की सुरक्षा में तैनात रहते हैं सेना के जवान
Indian Army: उत्तरी कश्मीर का गुरेज इलाका सैनिकों के बलिदान और साहस का परिचय देता है। यह एक ऐसा इलाका है जहां पर हिमस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है।
कारगिल युद्ध: टाइगर हिल फतह के बाद शहीद हुए थे सरमन सिंह, पाकिस्तानी सैनिकों ने धोखे से फेंके थे हैंड ग्रेनेड
Kargil War 1999: इस जंग में अहम भूमिका निभाई थी और टाइगर हिल फतह करने वाली टीम में शामिल थे। पर होनी को कुछ और मंजूर था।
पाकिस्तानियों के कारगिल में घुसपैठ का ये था मकसद, जीत के साथ भारत बना दुनिया की नई शक्ति
Kargil War 1999: पाकिस्तान बड़ी प्लानिंग कर कश्मीर हड़पने आया था। वह अशांति फैलाने और भारतीय सेना को सीधे चुनौती देकर ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहता था।
Kargil War 1999: दुनिया ने देखी इंडियन आर्मी के जवानों की ताकत, जंग से मिली ये सीख
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।
1971 तक ये 4 गांव थे पाकिस्तान का हिस्सा, युद्ध के दौरान आए भारत के कब्जे में
War of 1971: ये गांव केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में स्थित हैं। इनका नाम है- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग है। इन गांवों में नूरबख्शियां मुसलमान रहते हैं जो बाल्टी भाषा बोलते हैं।
कई मायनों में खास था 1971 में हुआ युद्ध, जानें कैसे बढ़ी भारत की साख
India Pakistan War 1971: सबसे बड़ी वजह यह थी कि इस युद्ध ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ।
सेना के टैंक के अंदर क्या-क्या होता है? जानें जंग के मैदान में क्या होता है इसका काम
Indian Army: टैंक का मुख्य काम गोले दागना होता है। टैंक भारी हथियारों से लैस और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन जो दो धातु की जंजीरों पर चलता है जिसे ट्रैक कहा जाता है।
War of 1971: …जब भारत ने शुरू कर दिया बंगाली राष्ट्रवादी गुटों का समर्थन
War of 1971: युद्ध की बिसात तो पहले से ही बिछ गई थी। 1970 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के बाद से चीजें और बिगड़ी जिसके बाद पाकिस्तान में युद्ध के हालात बनें।
कारगिल जैसा युद्ध दोबारा न हो इसके लिए अलर्ट रहते हैं जवान, खराब मौसम में भी चौकियों को नहीं छोड़ते
Kargil War: सैनिक पाकिस्तानी घुसपैठिओं पर कड़ी नजर रखते हैं। घुसपैठ करने वालों को चेतावनी दी जाती है। चेतावनी को नजरअंदाज करने पर गोली से उड़ा दिया जाता है।
तनाव बढ़ने पर सीमा पर तैनात हो जाती हैं एंटी टैंक मिसाइलें, जानें इनकी खासियत
Anti-Tank Missiles: युद्ध में मशीनें चाहे कितनी ही एडवांस क्यों न हो लेकिन युद्ध में जीत सैनिकों की हिम्मत और पराक्रम के चलते ही होती है। एलओसी और एलएसी पर कई मौकों पर एंटी टैंक मिसाइल तैनात की जाती रही हैं।