India Pakistan War 1971: ट्रेन और हवाई मार्ग से ही नहीं बल्कि खच्चर से भी Army को पहुंचाया गया था राशन, जानें कैसे थे जंग के दिन
युद्ध के दौरान कई मौकों पर सेना को राशन की कमी महसूस हुई थी लेकिन तय वक्त पर राशन पहुंचा दिया जाता था। ऐसा हमारे वीर सैनिकों के द्वारा हो सका था।
1971 का युद्ध: लाहौर, कराची और रावलपिंडी एयरबेस से PAK युद्धक विमान भरते थे उड़ान, Indian Army के सैनिक L-70 हथियार से लगाते थे इनपर निशाना
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को हराने के लिए हर मोर्चे पर भारतीय सेना (Indian Army) ने शानदार प्रदर्शन किया था।
India Pakistan War 1965: जिंदा रहने के लिए सैनिकों ने पी लिया था जानवरों का खून मिला पानी! जानें कैसे थे हालात
सेना में 9 कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा रहे और 1965 के भारत पाकिस्तान यु़द्ध में शामिल रहे रिटायर्ड जगत सिंह ने इस युद्ध से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया है।
India Pakistan War 1971: सैकड़ों की संख्या में जब्त पाकिस्तानी हथियार अभी भी सेना की संरक्षण में, कई बंदूकों को किया जा चुका है नष्ट
युद्ध में पाक सेना के खिलाफ जवानों ने शौर्य का परिचय दिया। पाक को हराकर भारतीय जवानों ने दिखा दिया था कि हमारे खिलाफ नजर उठाने वालों के साथ क्या होता है।
1962 का युद्ध: ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी बना लिए गए थे बंदी, चीन ने ऐसे पहुंचाया था हमें नुकसान
Indo-China War of 1962: बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'हिमालयन ब्लंडर' में किया है।
1999 का कारगिल युद्ध: पाक लेफ्टिनेंट को मौत के घाट उतारने के बाद उसकी जेब से मिला था खत, जानें सेना ने फिर क्या किया
Kargil War: खत अरबी भाषा में लिखा गया था। खत में जिक्र किया गया था कि कादिर घर पर छुट्टियां मना रहे थे लेकिन अचानक युद्ध छिड़ जाने के बाद उन्हें जाना पड़ा था।
Kargil War: कई जांबाजों की शहादत के बाद मिली थी तोतलिंग पर जीत, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी से जानें किस्सा
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में इस पोस्ट पर किस तरह टू राजपूताना ब्रिगेड ने कब्जा किया था इसका जिक्र किया है।
जनरल करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है हर साल ‘सेना दिवस, पाक सेना के जनरल इनका नाम सुनकर ही पीछे हट जाते थे
सेना दिवस के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में परेड निकाली जाती है, जिसकी सलामी थल सेनाध्यक्ष लेते हैं।
1965 का युद्ध: …जब कश्मीर के 4 ऊंचाई वाले इलाकों पर पाकिस्तान ने चलाया ऑपरेशन, जानें क्या हुआ था तब
हमला पैटन टैंक के साथ किया गया था। कश्मीर के चार ऊंचाई वाले इलाके पीरपंजाल, गुलमर्ग, उरी और बारामूला पर कब्जे के लिए इस ऑपरेशन को चलाया था।
1965 की जंग: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये दूसरा सबसे बड़ा टैंक युद्ध था, पाकिस्तान हुआ था शर्मसार
War of 1965: पाक के पास पैटन टैंक थे जबकि भारत के पास पुराने। असल उत्तर की जंग में पाक के 97 टैंक नष्ट हुए जिनमें 72 पैटन थे। भारत के केवल 30 टैंक ही युद्ध में नष्ट हुए।
1971 की जंग: जनरल मानेकशॉ ने एक हफ्ते के भीतर पाकिस्तान को खत्म करने का किया था वादा
सेना ने इस युद्ध में ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसके चलते सिर्फ 13 दिन में ही यह जंग खत्म हो गई थी। इस जंग में 91000 पाक युद्धबंदी कैद कर भारत लाए गए थे।
झीरम घाटी नक्सली हमला: 2013 में 29 लोगों की हत्या करने के बाद नक्सलियों ने मनाया था जश्न
घायल चश्मदीदों के मुताबिक पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने जमकर तमाशा किया था। नक्सली लाश पर घेर बनाकर काफी देर तक नाचते रहे थे।
देश ने बीते 10 साल में खो दिए 1150 जवान, नक्सलियों की साजिश का हुए शिकार, जानें लाल आतंक की कहानी
बीते 10 साल की बात करें तो 8 अक्टूबर 2009 के दिन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में लाहिड़ी पुलिस थाने पर नक्सली हमले में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे।
1965 के युद्ध की ये हैं 3 अहम वजहें, पाकिस्तान ने रची थी कश्मीर को लेकर बड़ी साजिश
War of 1965: पाकिस्तान का यह सोचना कि भारत 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध में उतरकर हार चुका है। ऐसे में भारतीय सेना हर तरफ से कमजोर है। ये भूल उसे भारी पड़ी।
1965 युद्ध का पहला चरण था ‘ऑपरेशन डेजर्ट हॉक’, पाकिस्तान ने कच्छ के एक बहुत बड़े हिस्से पर हक जताया था
सिर्फ 910 किलो मीटर के क्षेत्र को ही पाकिस्तान को सौंपा गया था। 30 जून 1965 को कच्छ सिंध समझौता के तहत ये जमीन पाक को सौंपी गई तो उसके तेवर और बढ़ गए।
1971 की जंग: वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ की बहादुरी की कहानी, ऐसे सीमा पर मचाया था कहर
War of 1971: वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ वे शख्स थे जिन्होंने सेना की दो कंपनियों को एक रात में ही मेघना नदी के पार उतार कर इतिहास रच दिया था।
कारगिल युद्ध: मुश्किल पहाड़ी इलाके में हथियार ढोने में आती थी दिक्कत, फिर भी हौसले थे बुलंद
Kargil War: दो सैनिक एक हथियार को अपने-अपने कंधे पर ढोते थे। हथियार ढोना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि कारगिल की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी रहती है।