सच के सिपाही

बोफोर्स का युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। करीब दो महीने चले इस युद्ध में 27 किलोमीटर तक गोले दागने वाली बोफोर्स तोपों को बखूबी इस्तेमाल हुआ।

शहीद सतबीर सिंह ने शहादत से महज 15 दिन पहले ही अपनी पत्नी को खत लिखा था। खत में उन्होंने गेहूं कटाई शुरू होने से पहले आने की बात कही थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का भीषण युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे एक-एक जवान ने भारत मां की रक्षा की थी। युद्ध में कई जवान घायल हुए तो कुछ ने शहादत दी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 (War of 1965) में लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) की जांबाजी की मिसाल आज भी दी जाती है।

चुनौतियों को दरकिनार कर कई जवान दुश्मनों के कैंप में घुसने में सफल हुए थे। इनमें से एक जवान थे ब्रिगेडियर खुशाल सिंह। उन्होंने दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया था।

1962 के खूनी संघर्ष के 13 साल बाद भी चीन ने हमारे खिलाफ हथियार उठा लिए थे। युद्ध के बाद 1975 पर एलएसी पर फायरिंग हुई थी, जिसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।

पाक सेना भारी मात्रा में रसद साथ लाई थी, यानी वे लंबा चलने वाले युद्ध के लिए तैयार थे। पाक ने कारगिल के इलाके में अपने कई एडवांस हथियार भी तैनात किए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हार मिली थी। युद्ध में एक-एक जवान के प्रदर्शन की अहमियत होती है। एक-एक जवान जीत की इबारत लिखता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इसे सबसे बड़े टैंक युद्ध में से एक माना जाता है। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से धूल चटाई थी।

Kargil War: भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा काफी मुस्तैद किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं। 

60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जो जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक युद्ध की नींव 1999 के फरवरी महीने में ही रख दी गई थी।

यह पोस्ट सामरिक रूप से हमारे लिए बेहद महत्व रखती है। इसपर दुश्मन का कब्जा लगातार बने रहने का मतलब था भारतीय सरजमीं पर पाक सेना की आसानी से पहुंच हो जाना।

युद्ध की नींव कच्छ के लगभग अनजान और बियाबान इलाके में हुई सीमित मुठभेड़ से रखी गई थी। भारत और पाक के बंटवारे के समय से ही कई मुद्दों पर तनातनी चल रही थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध को द्वितीय विश्व के बाद का सबसे बड़ा टैंक युद्ध भी कहा जाता है।

पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा में स्थित सैनिक स्कूल से शिक्षा लेने के बाद भल्ला (Anil Bhalla)  राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 32वें बैच में शामिल हुए और 1968 में वायुसेना के फाइटर पायलट बने।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि पाकिस्तान कहता है कि इस युद्ध में उसका पलड़ा भारी रहा था।

युद्ध में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन सैनिकों में से एक खरगोन जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान भी थे।

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