…जब सेना ने एक साथ ढेर कर दिए थे 16 नक्सली, शादी में शामिल होने पहुंचे थे

करीब साढ़े 8 बजे नक्सलियों पर फायरिंग की गई। तीन घंटे चली फायरिंग में 16 नक्सली मौके पर ही ढेर कर दिए गए जबकि बाकी नक्सली मौके से भागने में कामयाब हुए थे।

naxalites

फाइल फोटो।

Anti Naxal Operation: करीब साढ़े 8 बजे नक्सलियों (naxalites) पर फायरिंग शुरू कर दी गई थी। करीब तीन घंटे चली इस फायरिंग में 16 नक्सली मौके पर ही ढेर कर दिए गए जबकि बाकी नक्सली मौके से भागने में कामयाब हुए थे।

नक्सली हमारी देश अखंडता और लोकतंत्र पर धब्बा हैं। इस धब्बे को मिटाने के लिए हमारे वीर सपूत हमेशा तैयार रहते हैं। नक्सलियों (naxalites) को उनके गढ़ में घुसकर मारकर कई बार पराक्रम दिखाया जा चुका है। साल 2018 में भी एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देकर महज तीन घंटे के भीतर 16 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया गया था।

नक्सलियों के मूवमेंट की खुफिया जानकारी के बाद एक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था। हम बात करें रहे हैं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की। यहां पर 2018 के अप्रैल महीने में शादी का खाना खाने की इच्छा नक्सलियों को बेहद महंगी पड़ी थी। नक्सली एक शादी में आने वाले थे, ये खुफिया इनपुट मिलने की वजह से नक्सली विरोधी ऑपरेशन कामयाब हुआ।

महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा में मौजूद कसनासुर गांव में इस एनकाउंटर को अंजाम दिया गया था। पुलिस फोर्स को इन नक्सलियों के शादी में शामिल होने की जैसे ही खबर मिली तो सी-60 फोर्स के साथ सीआरपीएफ के जवान जंगल की ओर रवाना हो गए थे। ये जवान रात करीब साढ़े 11 बजे रवाना हुए थे और उन्होंने 16 नक्सलियों को मार गिराया था।

जंगल में घुसने के बाद जवानों को नक्सलियों के मूवमेंट का पता उनके पैरों के निशानों के जरिए मिला था। करीब 35 नक्सली वहां मौजूद थे। करीब साढ़े 8 बजे नक्सलियों पर फायरिंग शुरू कर दी गई थी। करीब तीन घंटे चली इस फायरिंग में 16 नक्सली मौके पर ही ढेर कर दिए गए जबकि बाकी नक्सली मौके से भागने में कामयाब हुए थे। आमतौर पर नक्सली अपने साथियों के शव अपने साथ ले जाते हैं लेकिन इस ऑपरेशन में उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी थी।

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एनकाउंटर के बाद चुनौती खत्म नहीं हुई थी। क्योंकि जवानों को 16 नक्सलियों की डेड बॉडी और हथियारों के साथ लौटना पड़ा था। इस दौरान बचे हुए नक्सलियों के पलटवार की आशंका भी थी। इस पूरे ऑपरेशन पर गढ़चिरोली पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अभिनव देशमुख ने कहा था कि ‘सेना के जवान इस ऑपरेशन में ढेर किए गए 16 नक्सलियों की डेड बॉडी अपने साथ  लेकर आए थे। इस दौरान हमारा जवानों के साथ संपर्क नहीं हो पा रहा था। यह बेहद ही चुनौतीपूर्ण था। ऐसा इसलिए क्योंकि सैटेलाइट्स फोन भी काम नहीं कर रहे थे और इसके साथ ही दोपहर के बाद आसमान में काले बादल छा गए थे।’

इस ऑपरेशन में सेना ने नक्सलियों के नेताओं का सफाया कर दिया था। मारे गए सभी नक्सलियों पर 86 लाख रुपये का इनाम था। खास बात यह थी कि इस इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ और सी-60 फोर्स ने अपना एक भी जवान नहीं खोया था। इस पूरे ऑपरेशन का श्रेय सी-60 को दस्ते को दिया गया था क्योंकि इस फोर्स के जवानों की ट्रेनिंग ऐसे हालातों से निपटने के लिए ही की जाती है। सी-60 के जवानों को जंगल में चलाए जाने वाले ऐसे ऑपरेशन के लिए विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाती है। इस एनकाउंटर में नक्सलियों के दो जिला कमांडर साईंनाथ और सीनू मारे गए थे।

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