…जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान से लड़ाई करते हुए जीता था हाजी पीर

हाजी पीर और आस-पास के इलाकों पर कब्जा करते ही पाकिस्तान को यह आभास हो गया था कि वह अब किसी भी कंडीशन में इस युद्ध में नहीं जीत सकता है।

Indian Army

फाइल फोटो

Indian Army: हाजी पीर और आस-पास के इलाकों पर कब्जा करते ही पाकिस्तान को यह आभास हो गया था कि वह अब किसी भी कंडीशन में इस युद्ध में नहीं जीत सकता है। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध को भारतीय सैनिकों की बहादुरी की मिसाल कहा जाता है। इस युद्ध में पाकिस्तान को जो जख्म मिले थे उसे जानकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

इस युद्ध में हमारी सेना (Indian Army) लड़ाई करते हुए 1,900 वर्ग किलोमीटर का इलाका जीत लिया था। दरअसल 28 अगस्त, 1965 को हमारी सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में आठ किलोमीटर अंदर जाकर हाजी पीर समेत कुछ और पोस्ट पर कब्जा कर लिया था।

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हाजी पीर और आस-पास के इलाकों पर कब्जा करते ही पाकिस्तान को यह आभास हो गया था कि वह अब किसी भी कंडीशन में इस युद्ध में नहीं जीत सकता है। लिहाजा, वह मनोवैज्ञानिक तौर पर हार मान चुका था। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस जंग में टैंकों का प्रयोग दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा हुआ था।

युद्ध के दौरान हाजीपीर की लड़ाई रणनीतिक रूप से बेहद अहम थी। इस युद्ध में सेना ने शौर्य के साथ-साथ सैन्य रणनीति का बेहद शानदार परिचय दिया था। सेना ने तय प्लान के मुताबिक हर कदम फूंक-फूंक कर रखा और क्षेत्र पर कब्जा पाया।

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युद्ध में 1-पैराशूट रेजिमेंट को हमले की जिम्मेदारी दी गई थी। मालूम हो कि हाजी पीर पोस्ट का महत्व यही था कि अगर इस दर्रे पर किसी का कब्जा हो तो उसकी श्रीनगर और पुंछ की दूरी मात्र 50-55 किलोमीर रह जाती है।

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