सांकेतिक तस्वीर।
War of 1971: युद्ध के दौरान बंदूकों, तोपों, टैंकों आदि की प्रमुख भूमिका रहा करती थी। भारत-पाक के अधिकांश युद्ध बंदूक और तोप के बल पर ही लड़े गए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (War of 1971) में हमारी सेना ने एकतरफा जीत हासिल की थी। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। पाकिस्तान के करीब 1 लाख जवानों ने भारत के सामने सरेंडर कर लिया था। इसके बाद हजारों की संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों की बंदूकें और तोप आदि को जब्त कर लिया गया था।
सरेंडर करने के बाद हारने वाला देश अपने हथियारों को भी सरेंडर कर देता है। पाकिस्तान ने भी ऐसा ही किया था। बड़ी संख्या में बंदूकें आर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर भेजी गई थीं। बाद में इन बंदूकों को यहां नष्ट किया गया। सैकड़ों की संख्या में ये बंदूकें अभी भी सेना के संरक्षण में हैं।
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70 के दशक में युद्ध के दौरान बंदूकों, तोपों, टैंकों आदि की प्रमुख भूमिका रहा करती थी। भारत पाक के अधिकांश युद्ध बंदूक और तोप के बल पर ही लड़े गए थे। 1971 का ये युद्ध 13 दिन चला। 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ ये युद्ध 16 दिसंबर को खत्म हुआ। युद्ध में भारतीय सेना के करीब 4,000 सैनिक शहीद हुए।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (War of 1971) की कई मुख्य वजहें थीं। पाकिस्तान का पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) पर अत्याचार, भारत में बढ़ता शरणार्थी संकट और पाकिस्तान का भारत के खिलाफ हवाई हमला करना सबसे अहम वजहों में गिना जाता है।
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यह युद्ध एक तरह से बांग्लादेश की आजादी और पाकिस्तान की मानवता पर प्रताड़ना के खिलाफ लड़ा गया था। 1971 के आखिरी महीनों में लड़े गए इस युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर दुश्मन देश की सेना आज भी थर-थर कांप उठती होगी।
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