War of 1962: जब भारतीय वीरों ने चीनी सैनिकों को मार भगाया, गोलियां खत्म हुई तो दुश्मनों से किया ‘हैंड टू हैंड’ फाइट

चीनी सेना भारत से ‘हैंड टू हैंड’ में मुकाबला नहीं कर पाई थी। इसमें कई चीनी सैनिक ढेर हुए थे। हमारे जवानों ने बेहद धारधार हथियार खुखरी का इस्तेमाल किया था।

War of 1962

War of 1962: चीनी सेना, भारत से ‘हैंड टू हैंड’ में मुकाबला नहीं कर पाई थी। इसमें कई चीनी सैनिक ढेर हुए थे। दरअसल, हमारे जवानों ने बेहद धारधार हथियार खुखरी का इस्तेमाल किया था।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध (War of 1962) लड़ा गया था। चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी वह इसी रणनीति के तहत समुद्र से लेकर जमीन तक हड़प रहा है। साल 1962 के मई-जून में अचानक सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गईं।

युद्ध में चीनी सेना भारत पर भारी पड़ी थी। जंग के मैदान में भारतीय सेना (Indian Army) चीन के मुकाबले कम तैयारी के साथ उतरी थी। सेना के पास न तो हथियार थे और न ही माइनस 30 डिग्री जैसे कड़ाके की ठंड के लिए कपड़े और जूते। ऐसे में अधूरी तैयारी के साथ कभी युद्ध नहीं जीते जाते।

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लिहाजा भारतीय सेना को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे कई मौके आए जब हमारी सेना के पास बंदूकों में गोलियां तक खत्म हो गई थीं।बावजूद इसके हमारे जवानों ने बेखौफ चीनी सैनिकों को सामना किया और उन्हें हथियारों से काट डाला था। कई मौकों पर दुश्मनों के साथ ‘हैंड टू हैंड’ फाइट हुई थी।

चीनी सेना भारत से ‘हैंड टू हैंड’ में मुकाबला नहीं कर पाई थी। इसमें कई चीनी सैनिक ढेर हुए थे। दरअसल, हमारे जवानों ने बेहद धारधार हथियार खुखरी का इस्तेमाल किया था। भारतीय सेना इस हथियार को चलाने में माहिर है।

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इस युद्ध में राजपुताना रेजिमेंट के जवानों की गोलियां खत्म हो जाती थीं, तो वे चीनियों को अपनी खुकरी से ही काट डालते थे। कई गोलियां खाने के बाद भी मेजर जोशी ने चार चीनी ऑफिसर को मार गिराया। इस युद्ध में सबने वीरता दिखाई। बाद में शहीदों को उनकी वीरता के लिए सरकार ने कई सम्मान दिए।  

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