ये थे कारगिल युद्ध के वो जांबाज जवान, जिन्होंने दी थी भारत मां की खातिर जान

ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ दूसरे ऑपरेशन में छाती पर गोली खाकर शहीद होने वाले बत्रा को सरकार ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था।

Kargil War

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Kargil War 1999: 2 राजपूताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता ने भी इन शहीदों (Kargil War Martyrs) में शामिल हैं। उन्होंने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) लड़ा गया था। कश्मीर के कारगिल की सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में पाकिस्तानी सैनिकों ने धोखे से कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान के इन इलाकों में कब्जा करते ही भारतीय सेना (Indian Army) हरकत में आ गई थी।

इस युद्ध में यूं तो हर वीर सपूत का अहम योगदान था लेकिन कई जवान ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में अपनी अलग पहचान सबके सामने रखी थी। इन योद्धाओं ने दुश्मनों से सामना करते हुए अपना पूरा दमखम लगा दिया था। इनकी बहादुरी और शहादत (Kargil War Martyrs) की मिसाल आज भी दी जाती है।

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इन भारतीय वीर सपूतों में एक जवान कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) भी थे। 19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वांइट 5140 छीन लिया था। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तानियों के खिलाफ दूसरे ऑपरेशन में छाती पर गोली खाकर शहीद होने वाले बत्रा को सरकार ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था।

बत्रा के अलावा उत्तराखंड के नैनीताल में जन्में वीर योद्धा मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने अपनी दिलेरी का परिचय देते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। दुश्मन टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे थे और लगातार बमबारी और गोलियां चला रहे थे, चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बरबाद करना ही सेना का पहला लक्ष्य था।

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इससे लिए सबसे पहले तोलोलिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई। दुश्मनों पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश सिंह अधिकारी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान 15 हजार फीट की ऊंचाई पर पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाकर वे दुश्मनों के हमले का शिकार हो गए और शहीद हो गए।

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2 राजपूताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता ने भी इन शहीदों (Kargil War Martyrs) में शामिल हैं। उन्होंने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने टोटलिंग पर अपनी टीम के साथ बेहद ही चालाकी के साथ दुश्मनों का सामना किया था। हालांकि, दोनों जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे। लेकिन इसके पहले उन्होंने दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया था।

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