जर्मनी के इस गांव में बनी थी दुनिया की पहली मिसाइल, यहां अब भी बिखरे पड़े हैं रॉकेट के टुकड़े

इस गांव का नाम पेनमुंडे है। बताया जाता है कि यहीं पर पहली मिसाइल विकसित हुई थी। इस गांव में मिसाइल टेक्नॉलजी पर रिसर्च और उन्हें दुश्मनों पर किस तरह इस्तेमाल करना है इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए थे।

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Missile: इस गांव का नाम पेनमुंडे है। बताया जाता है कि यहीं पर पहली मिसाइल विकसित हुई थी। इस गांव में मिसाइल टेक्नॉलजी पर रिसर्च और उन्हें दुश्मनों पर किस तरह इस्तेमाल करना है, इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए थे।

पुरानी जमाने में युद्ध की पद्धतियां काफी अलग होती थीं और हथियार भी काफी कम रेंज वाले होते थे। आज के दौर में मिसाइल (Missile) के जरिए हजारों किलो मीटर दूर स्थित किसी शहर को पलभर में नेस्तनाबूद किया जा सकता है। बीते कुछ साल में मिसाइल टेक्नॉलजी ने युद्ध की पूरी व्यवस्था को बदल कर रख दिया है।

अक्सर लोगों के मन में मिसाइल टेक्नॉलजी (Missile) को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। इनमें एक सवाल यह भी है कि आखिरकार दुनिया की पहली मिसाइल किसने विकसित की थी और कहां विकसित हुई थी?

दुश्मन को दूर से ही नेस्तनाबूद करने में इस्तेमाल होती हैं मिसाइलें, रॉकेटों के जरिए पलभर में पलट सकती है बाजी

इसका जवाब है जर्मनी का एक गांव। ये बात सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। जब जर्मनी का एक गांव मिसाइल फैक्ट्री के तौर पर विकसित किया गया था। इस गांव का नाम पेनमुंडे है। बताया जाता है कि यहीं पर पहली मिसाइल विकसित हुई थी। इस गांव में मिसाइल टेक्नॉलजी पर रिसर्च और उन्हें दुश्मनों पर किस तरह इस्तेमाल करना है, इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए थे।

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यानी दुनिया में मिसाइल और रॉकेटों द्वारा युद्ध लड़ने की कल्पना सबसे पहले जर्मनी ने की थी। इस गांव के इलाके में अब भी जगह-जगह रॉकेट के टुकड़े बिखरे पड़े हैं। हालांकि, वर्तमान में रूस और अमेरिका ने जर्मनी को मिसाइलों के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है।

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