कारगिल युद्ध के ‘हीरो’ अनुज नैय्यर के जज्बे की बेमिसाल कहानी, मरणोपरांत मिला था महावीर चक्र

टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नैय्यर को दी गई थी। टाइगर हिल को पूरी तरह से पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घेर रखा था।

युद्ध के दौरान टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नय्यर को दी गई थी।

टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नैय्यर को दी गई थी। टाइगर हिल को पूरी तरह से पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घेर रखा था।

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने जो साहस और शौर्य दिखाया था वह आज भी हमारी सेना के हौसले को बढ़ाता है। 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान के धोखे को सेना ने नेस्तनाबुद कर दिया था। दुशमन देश आज भी वो दिन याद कर थर-थप कांप उठता होगा। ऐसा हो भी क्यों न जब हमारे देश के वीर जवानों ने अपने शौर्य और बलिदान से युद्ध में जीत जो हासिल की थी।

इस युद्ध में शामिल होने वाला हर जवान हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है मगर कुछ जवानों ने ऐसा पराक्रम दिखाया है जिसको याद कर आज भी सेना गर्व महसूस करती है। 1999 की लड़ाई के कई ‘हीरो’ हैं मगर एक जवान ऐसे हैं जिनकी शहादत और दुश्मन के खिलाफ उनके हिम्मत को आज भी याद किया जाता है। हम बात कर रहे हैं कैप्टन अनुज नैय्यर की। वे जाट रेजिमेंट की 17वीं बटालियन के एक भारतीय सेना अधिकारी थे। उन्हें 1999 में कारगिल युद्ध में ऑपरेशन के दौरान अनुकरणीय वीरता के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र दिया गया था।

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युद्ध के दौरान टाइगर हिल के पश्चिम में पॉइंट 4875 को खाली कराने की जिम्मेदारी कैप्टन नय्यर को दी गई थी। टाइगर हिल को पूरी तरह से पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घेर रखा था। ये वह पॉइंट था जो कि बेहद ऊंचाई पर था और दुश्मन सेना पर नजर बनाए हुआ था। इस पॉइंट को जीतना सेना के लिए बेहद जरूरी था क्योंकि यह रणनीतिक रूप से बेहद ही अहम जगह थी। दुश्मन यहां बंकर बना कर छिपे हुए थे।

चुनौती बहुत बड़ी थी क्योंकि दुश्मन अगर एक पत्थर भी गिराते तो वह सीधा सेना से टकराता। इसलिए नैय्यर और उनकी टीम ने बेहद ही सावधानी के साथ कुछ दूरी तय की लेकिन जैसे ही दुशमन को उनकी भनक लगी तो देखते ही देखते फायरिंग शुरू हो गई। उनकी टीम ने भी फायरिंग शुरू कर दी और पाकिस्तान के 9 सैनिकों को मार गिराया।

हालांकि जैसे ही वह पॉइंट 4875 पर तिरंगा फहराने की तैयारी में थे तभी दुशमन न उनपर ग्रेनेड से हमला कर दिया और वह घायल हो गए। इसके बाद एक और ग्रेनेड हमला हुआ जिसमें वह अपनी टीम के साथ शहीद हो गए। इस बीच पीछे से कैप्टन बत्रा अपनी टीम के साथ पहुंचे और पाक के बचे सैनिकों को ढेर कर इस पॉइंट पर तिरंगा लहराया।

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