1950 के दशक से दलाई लामा और चीन के बीच शुरू हुआ विवाद, चीन सेना ने कर दी थी तिब्बत पर चढ़ाई

जिस वक्त तिब्बत (Tibet) में 14वें दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया चल रही थी तभी यह हमला किया गया था। चीन नहीं चाहता था कि तिब्बत में फिर से चुनावी प्रक्रिया के जरिए दलाई लामा यानी धर्मगुरु की नियुक्ति हो।

Tibet

Chinese Army: जिस वक्त तिब्बत (Tibet) में 14वें दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया चल रही थी तभी यह हमला किया गया था। चीन नहीं चाहता था कि तिब्बत में फिर से चुनावी प्रक्रिया के जरिए दलाई लामा यानी धर्मगुरु की नियुक्ति हो।

चीन (China) और तिब्बत (Tibet) के बीच संबंध सालों से खराब रहे हैं। यह संबंध तब और खराब हो गए जब 1950 के दशक में चीन ने तिब्बत पर हमला कर इसे पूरी तरह से अपने कब्जे में कर लिया है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी वह इसी रणनीति के तहत समुद्र से लेकर जमीन तक हड़प रहा है।

13वें दलाई लामा ने 1912 में तिब्बत को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। करीब 40 सालों के बाद यानी 1950 के दशक में चीन के लोगों ने तिब्बत पर हमला किया था। तिब्बत के पास तब चीनी सेना का सामना करने के लिए कुछ भी नहीं था।

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1950 के दशक से ही दलाई लामा और चीन के बीच विवाद शुरू हो गया था। दरअसल, जिस वक्त तिब्बत (Tibet) में 14वें दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया चल रही थी तभी यह हमला किया गया था। चीन नहीं चाहता था कि तिब्बत में फिर से चुनावी प्रक्रिया के जरिए दलाई लामा यानी धर्मगुरु की नियुक्ति हो।

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चीनी ने बल का इस्तेमाल कर तिब्बत पर चढ़ाई कर दी थी। इस दौरान दलाई लामा को लगा कि वह बुरी तरह से चीनी चंगुल में फंस जाएंगे तो वह भारत आ गए। उनके साथ कई तिब्बती भी भारत में आ बसे। हालांकि, दलाई लामा कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह चीन से आजादी नहीं बल्कि स्वायत्तता चाहते हैं। 

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