सर्जिकल स्ट्राइक को पूरे हुए 4 साल, जानें INDIAN ARMY ने कैसे नष्ट किए थे आतंकियों के लॉन्चिंग पैड

18 सितंबर, 2016 को हुए उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) को अंजाम दिया।

Surgical Strike

Surgical Strike II फाइल फोटो।

सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) से पहले उस इलाके को लेकर हर चीज पर बारीकी से पड़ताल की गई कि कब और कैसे अपने प्लान को अंजाम देना है।

साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) को चार साल पूरे हो चुके हैं। सोमवार यानी 28 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक की चौथी वर्षगांठ थी। उरी (Uri) में सेना (Indian Army) के शिविर पर हुए घातक हमले का जवाब देते हुए आतंकवादियों (Terrorists) के खिलाफ आज ही के दिन सर्जिकल स्ट्राइक किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मन की बात में सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए कहा कि चार साल पहले दुनिया ने सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के दौरान हमारे सैनिकों के साहस, बहादुरी और पराक्रम को देखा। उन्हें अपने जीवन की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। वे कर्तव्य की रेखा पर आगे बढ़ते रहे और हम सभी साक्षी बने कि वे कैसे विजयी होकर वापस लौटे।

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उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया था। पीएम मोदी ने जवानों के बलिदान को व्यर्थ न जाने की बात कही थी। उन्होंने मन की बात में सर्जिकल स्ट्राइक और वीरों की शहादत को याद किया।

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के उरी सेक्टर में LoC के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। उरी अटैक को भारतीय सेना पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना जाता है। 18 सितंबर, 2016 को हुए उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।

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18 सितंबर को बारामूला जिले में सेना के बेस कैंप पर पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए आत्मघाती हमले के जवाब मे भारतीय सेना के विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार किया और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों के लॉन्चिंग पैड को नष्ट कर दिया था। 

गौरतलब है कि 24 सितंबर से सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) की तैयारी शुरू कर दी थी। विशेष बलों के दस्तों को नाइट-विज़न डिवाइस, Tavor 21 और AK-47 असॉल्ट राइफल, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड, शोल्डर-फाइबल मिसाइल, हेकलर और कोच पिस्तौल, उच्च विस्फोटक ग्रेनेड और प्लास्टिक विस्फोटक से लैस किया गया था। सभी टीम में 30 भारतीय जवान शामिल थे।

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जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सीमा के करीब रहने वाले नागरिकों को भारतीय सैनिकों के जाने से पहले 27 सितंबर की रात 10 बजे वहां से हटाना शुरू कर दिया गया था। ये आतंकी शिविर भारतीय क्षेत्र में आतंकवादियों को भेजने के लिए लॉन्चपैड के रूप में काम करने के लिए बनाए गए थे।

सैनिकों के अंदर जाने और लगभग पांच घंटे तक चलने वाले ऑपरेशन को पूरा करने से पहले इन लॉन्चपैडों पर तैनात पहरेदारों को स्निपर्स ने मार गिराया। सेना ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने छह लॉन्चपैड्स को तबाह दिया और विभिन्न स्थानों पर 45 आतंकवादियों को मार गिराया। ये लॉन्चपैड ऑपरेशन से पहले एक सप्ताह से निगरानी में थे।

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इस ऑपरेशन में शामिल पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने इससे जुड़ी याद साझा की है। साल 2018 में पुणे के थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर के योगदान के लिए उनको सम्मानित किया गया था।

इस दौरान कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) से पहले उस इलाके को लेकर हर चीज पर बारीकी से पड़ताल की गई कि कब और कैसे अपने प्लान को अंजाम देना है। उन्होंने बताया तब रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने हमसे ऑपरेशन को लेकर एक हफ्ते तक इस पर गहन अभ्यास करने को कहा ताकि कोई चूक न हो।

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ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने बताया कि जब हमने इस पर स्टडी की तो देखा कि पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुत्तों का डर होगा, जो हमला भी कर सकते हैं। ऐसे में कुत्तों को शांत करने के लिए जवान अपने साथ तेंदुए का मल-मूत्र ले गए। उन्होंने बताया कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला कर देते है जिस कारण उनके होने के आभास से ही कुत्ते कोसों दूर रहते हैं।

तेंदुए के डर से रात को कुत्ते बस्तियों में चले जाते हैं। जब हमने सीमा पार करनी थी तो रास्ते में गांव भी आने थे और हमारी आहट से कुत्ते सतर्क होकर भौंकना शुरू कर सकते थे। उनसे निपटने के लिए सेना की टुकड़ियां तेंदुए का मल-मूत्र लेकर गईं और उसे गांव के बाहर छिड़कती गईं। हमारा यह प्लान भी काम कर गया और कुत्ते गांव की सीमा तक नहीं आए।

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राजेंद्र निंबोरकर ने आगे बताया कि हमारी टुकड़ी एक हफ्ते तक हमले का अभ्यास करती रही लेकिन जवानों को यह नहीं बताया गया कि हमला कहां करना है। सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) से एक दिन पहले जवानों को इसकी जानकारी दी गई। हमले का समय तड़के 3:30 चुना गया। हमारी सेना की टुकड़ियां सुरक्षित सीमा पार पहुंच गईं और आतंकियों के लॉन्च पैड्स को चिह्नित कर हमला कर दिया।

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उन्होंने बताया कि हमारे जवानों ने तीन पैड्स और 29 आतंकियों को मार दिया, हमारे सुरक्षाबलों ने इसका वीडियो भी बनाया। ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर कहा कि पाकिस्तान हमारे इस ऑप्रेशन से भौंच्चका रह गया था। उसको हमारी तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) एक मैसेज था कि भारतीय सेना कुछ भी कर सकती है।

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