लाल आतंक के गढ़ में कायम की स्मार्ट पुलिसिंग की मिसाल, IPS आरिफ एच शेख को मिल चुके हैं दर्जनों इनाम

साल 2017 में भी आरिफ एच शेख (IPS Arif H Sheikh) को पेंसिल्वेनिया में उनके अभियान आमचो बस्तर, आमचो पुलिस” के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया। आईएसीपी द्वारा दिए जाने वाले इस अवार्ड पर लगातार दो सालों से छत्तीसगढ़ पुलिस का कब्जा रहा।

IPS Arif H Sheikh

IPS Arif H Sheikh

आरिफ एच शेख (IPS Arif H Sheikh) 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं।

“पुलिसिंग एक सर्विस-डिलीवरी की तरह है, आपको हमेशा आम जनता के अनुसार बेहतर से बेहतर प्रोग्राम बनाना होगा। अगर आपको समाज के लिए कुछ बेहतर करना है तो क्यों न समाज को साथ लेकर किया जाए।” यह मानना है आईपीएस आरिफ एच शेख (IPS Arif H Sheikh) का। आम जनता, खासकर नक्सल इलाकों में पुलिस पर से लोगों के उठते भरोसे को वापस पाने के लिए आरिफ ने तरह-तरह के अभियान चलाए।

साल 2016 में कैलिफोर्निया में उन्हें ‘होमलैंड सिक्योरिटी’ श्रेणी के प्रतिष्ठित इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ ऑफ पुलिस (IACP) अवार्ड से सम्मानित किया गया। आईएसीपी अवार्ड समारोह में छत्तीसगढ़ के आईपीएस आरिफ शेख (IPS Arif H Sheikh) को कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए आईएसीपी इंटनेशनल अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पुलिसिंग के क्षेत्र का ऑस्कर माना जाता है।

इस पुरस्कार की अहमियत का पता इस बात से चलता है कि हर साल सैकड़ों इंट्रियां आती हैं, लेकिन चुनिंदा स्मार्ट अफसरों को ही ये अवार्ड मिल पाता है। 2.5 लाख की आबादी की श्रेणी में दिए जाने वाले इस अवार्ड के लिए आरिफ की स्मार्ट पुलिसिंग ने न्यूयॉर्क, कैलिफार्निया, कनाडा व बीजिंग जैसे देशों की तेज तर्रार पुलिस को पीछे छोड़ दिया।

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आईएसीपी 200 से ज्यादा देशों के पुलिस के काम का मूल्यांकन करती है। इसके बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाली पुलिस को यह अवार्ड दिया जाता है। 2012 में यह अवॉर्ड सनडियागो, कैलिफोर्निया को दिया गया था। वर्ष 2013 में ओंटारियो पुलिस, कनाडा को यह अवॉर्ड मिला था। वहीं, 2014 में यह पुरस्कार न्यूयॉर्क को मिला था। 2015 में भी यह पुरस्कार न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट को ही मिला था। पर यह पहली बार था जब भारत को यह पुरस्कार मिला।

2017 में भी आरिफ एच शेख (IPS Arif H Sheikh) को पेंसिल्वेनिया में उनके अभियान आमचो बस्तर, आमचो पुलिस” के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया। आईएसीपी द्वारा दिए जाने वाले इस अवार्ड पर लगातार दो सालों से छत्तीसगढ़ पुलिस का कब्जा रहा। दोनों साल कम्युनिटी पुलिसिंग का खिताब भारत में लाने का श्रेय आईपीएस आरिफ शेख को जाता है।

साल 2016 में जब वे बालोद के एसपी थे, उस समय भी उन्हें यह अवार्ड मिला था। दूसरी बार बस्तर के पुलिस अधीक्षक रहते हुए उन्हें यह अवार्ड मिला। वह लगातार दो बार कम्युनिटी पुलिसिंग में यह पुरस्कार जीतने वाले देश के एकमात्र IPS अधिकारी हैं।

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शेख (IPS Arif H Sheikh) के “आमचो बस्तर, आमचो पुलिस” अभियान का उद्देश्य पुलिस और आदिवासी समुदायों के बीच की खाई को खत्म करके उनकी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित करना था। साथ ही वामपंथी उग्रवाद को बेअसर करने और माओवादियों को मुख्यधारा में आने का अवसर देना भी उनके इस पहल का उद्देश्य था।

शेख के अभियान के माध्यम से बस्तर पुलिस ने ऐसे बच्चों को बाहर निकालने में मदद की जो माओवादियों के बाल-संघ में फंस गए थे। इन बच्चों से नक्सली आईईडी जैसे विस्फोटक लगवाते थे। छत्तीसगढ़ के बालोद, बस्तर एवं बिलासपुर जिले में एसपी रहते हुए आरिफ शेख द्वारा अनूठी मुहिम के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव आया।

कम्युनिटी पुलिसिंग से समाज में प्रताड़ित महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों की मदद के लिए आईपीएस आरिफ शेख (IPS Arif H Sheikh) की टीम ने कई अभियानों के जरिए लोगों को जागरूक करने का काम किया। उन्होंने बस्तर जैसे नक्सली-क्षेत्र में मिशन ई-रक्षा, मिशन जीवदया, मिशन पूर्ण शक्ति, संवेदन केन्द्र और राखी विद खाकी जैसे अभियान चलाए।

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मिशन ई-रक्षा के तहत गांववालों को 500 प्रशिक्षित ई-रक्षकों ने स्थानीय भाषा में हर तरह के साइबर -क्राइम के बारे में जानकरी दी और उनसे निपटने के गुर भी सिखाए। इस पहल से बालोद में साइबर अपराध में कमी आई। गांववालों की मदद से पुलिस ने एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भी भंडाफोड़ किया। इस मुहिम के बाद अब बालोद के लोग किसी भी अनजान, फेक कॉल या मेल का रिप्लाई करने से पहले पुलिस को सुचना देने लगे हैं।

मिशन जीवदया के अंतर्गत पुलिस ने 200 से ज़्यादा जीवदया समितियों का गठन कर, उन्हें एक्सीडेंट के तुरंत बाद दिए जाने वाले टास्क का प्रशिक्षण दिया व मेडिकल किट भी वितरित की गई। वहीं मिशन पूर्ण शक्ति मुहिम का उद्देश्य महिलाओं को सभी क्षेत्रों में सशक्त बनाना और उनमें आत्मविश्वास जगाना था। जिससे वे सशक्त समाज का निर्माण कर सकें।

इस पहल के तहत महिलाओं को ‘रेडी टू रियेक्ट माड्यूल’ के तहत आत्मरक्षा का प्रशिक्षण एवं कानूनी अधिकारों के संबंध में जानकारी दी गई। जिले की महिलाओं को विशेष महिला कमांडो बनाया गया, जो आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित कर सकें। इस मुहीम में अब तक 5000 से भी अधिक महिलाएं प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर अपने गांव में नशा, शराबखोरी, जुआ आदि बुराईयों के खिलाफ़ काम कर रही हैं। इसका नतीजा है कि आज गांवों में शराब की बिक्री 25 प्रतिशत तक कम हो गई है।

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महिलाओं की जरूरतों को समझते हुए थाने पहुंचने वाली महिलाओं से लेकर थाने में ड्यूटी पर तैनात महिला कर्मियों की परेशानियों को दूर करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए जिले के कई थानों में महिलाओं के लिए ‘संवेदना केंद्र’ बनाए गए। जहां सेनेटरी नैपकिन, प्रसाधन कक्ष, विशेष स्वागत-सहयोग कक्ष, कानूनी सलाह, महिला स्टाफ और मेडिकल से जुड़ी सुविधाएं हैं।

राखी विद खाकी नाम से चलाई गई उनकी मुहिम के तहत रक्षाबंधन के दिन महिलाओं और युवतियों ने जगह-जगह तैनात पुलिस कर्मियों की कलाई पर राखी बांधी। इस मुहीम की थीम लाइन “एक भाई जो दूर रहकर भी पास है” रखा गया था। इस मुहीम का मकसद महज सोशल मीडिया आउटरीच बढ़ाना नहीं बल्कि इस पहल के माध्यम से 50 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों के मोबाइल में हेल्पलाइन नंबर फीड करवाया गया। अब महिलाएं किसी भी समय इस हेल्पलाइन के माध्यम से पुलिस से सहायता ले सकती है।

शहर में महिलाओं के उत्थान व उनकी सुरक्षा के मद्देनज़र पिंक टीम का गठन भी किया गया। आरिफ बताते हैं कि पिंक-टीम के गठन का आईडिया उन्हें पिंक फिल्म से आया, जिसमें “नो मीन्स नो” को थीम बनाया गया है। इसके बाद जानकारी इकठ्ठा की गयी और इस टीम का गठन किया गया।

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दरअसल, इस नाम की एक संस्था केन्या में है जो 100 से भी अधिक देशों में काम करती है। टीम के द्वारा शहर के विभिन्न वार्डों में महिलाओं, बच्चों और युवाओं को कानूनी जानकारी, महिलाओं के प्रति सोच बदलने, समाज में उपेक्षित महसूस कर रहे निचले वर्ग के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के स्वच्छता अभियानों को मूर्त रूप दिया जा रहा है।

आरिफ एच शेख (IPS Arif H Sheikh) 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पुणे विश्वविद्यालय से की। IPS में शामिल होने से पहले उन्होंने 2 वर्षों के लिए HCL Technologies Ltd में नेटवर्क इंजीनियर के रूप में काम किया।

वह एक लेखक भी हैं। पुलिसिंग के विभिन्न मुद्दों पर समाचार पत्रों में अक्सर उनके लेख छपते हैं। साथ ही वे अमेरिका की प्रसिद्ध लुइस डेकमर ट्रस्ट के भी एक मात्र नॉन-अमेरिकन सदस्य हैं। उनकी रुचि आर्थिक-अपराध, सामुदायिक पुलिसिंग और साइबर अपराध के क्षेत्र में है।

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एसपी आरिफ शेख (IPS Arif H Sheikh) अपने खानदान की चौथी पीढ़ी हैं जो पुलिस में हैं। उनके परदादा, दादा और पिता पुलिस-विभाग में रह चुके हैं। वर्तमान में शेख सहायक पुलिस महानिरीक्षक, नक्सल ऑपरेशन के पद पर हैं और पुलिस मुख्यालय रायपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनकी वाइफ शमी आबिदी भी आईएएस ऑफिसर हैं।

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