रांची: वीर नागेश्वर महतो के नाम पर रखा गया इस सड़क का नाम, जल्द बनेगी आदम कद प्रतिमा

इस युद्ध में देश की खातिर सीने पर हंसते-हंसते गोली खाने वाले कई बहादुर जवानों के किस्से अक्सर दुनिया भर में बैठे भारतियों को खुद पर गौरव करने का एक बेहतरीन लम्हा देते हैं।

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करगिल युद्ध के जांबाज नागेश्वर महतो के नाम पर सड़क का उद्घाटन।

करगिल युद्ध को हुए बरसों बीत गए। लेकिन इस युद्ध में शहीद हुए देश के जवानों की अनमोल स्मृतियां जेहन में हमेशा तरोताजा रहती है। दरअसल इस युद्ध में जिस पराक्रम और साहस को भारत माता के वीर जवानों ने जिया वो पूरी दुनिया के लिए आज एक उदाहरण है। इस युद्ध में देश की खातिर सीने पर हंसते-हंसते गोली खाने वाले कई बहादुर जवानों के किस्से अक्सर दुनिया भर में बैठे भारतियों को खुद पर गौरव करने का एक बेहतरीन लम्हा देते हैं। आज हम भारत माता की कोख से जन्म लेने वाले एक ऐसे ही वीर जवान को याद कर इस लड़ाई में शहीद हुए सभी जांबाज जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

अब आप जब कभी झारखंड की राजधानाी रांची के ध्रुवा स्थित एच एससी बायपास पथ से गुजरें तो फख्र से सीना चौड़ा कर गुजरिए क्योंकि यह बायपास अब शहीद नागेश्वर महतो के नाम से जाना जाता है। जी हां झारखंड सरकार ने फैसला कर दिया है कि इस सड़का नामकण शहीद नागेश्वर महतो के नाम पर होगा लिहाजा अब इसका नाम शहीद नागेश्वर पथ कर दिया गया है। शहीद के परिवार वाले काफी दिनों से इसकी मांग कर रहे थे लिहाजा नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने शहीद के परिजनों के उपस्थिति में इस सड़क को शहीद के नाम समर्पित करते हुए परिचालन हरी झंडा दिखाकर शुरू किया। इतना ही नहीं जल्दी ही यहां नागेश्वर महतो की एक आदमकद प्रतिमा भी लगाई जाएगी। झारखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। देश की सेवा में इस जमीन का खास योगदान रहा है। इस मिट्टी में जन्में कई रणबांकुरों ने अलग-अलग मौकों पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किये हैं और इन्हीं वीर बहादुरों में से एक थे शहीद नागेश्वर महतो

तोप के गोले से शहीद हुए थे:
वो साल था 1999 जब पड़ोसी मुल्क ने हमारे देश की तरफ आंख उठाकर देखने की गुस्ताखी की थी। गुस्ताख पड़ोसी को करगिल युद्ध के दौरान मुंह की खानी पड़ी थी। नायब सूबेदार नागेश्वर को करगिल युद्ध के बीच एक घंटे का विराम मिला था। उस वक्त सूबेदार नागेश्वर अपनी तोप को ठीक कर रहे थे। पाकिस्तान के सैनिक ऊंचाई पर थे और भारतीय नीचे। इस बात का फायदा पाकिस्तान के सैनिकों को मिला और युद्ध विराम के बीच ही उन्होंने एक गोला नागेश्वर महतो की तरफ उछाल दिया। यह गोला उनके ठीक बगल में आकर फटा। जोरदार धमाका हुआ और नायाब सूबेदार वीरगति को प्राप्त हुए। आज भी 13 जून को हर साल पूरा परिवार उनकी बरसी मनाता है और उनकी शहादत को याद करता है।

शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी का नाम संध्या देवी है। पति के शहीद होने के बाद शहीद का परिवार गमों के आंसूओं में डूबा जरूर था लेकिन परिवार को अब लाल के अनमोल बलिदान पर फख्र है। संध्या देवी बिरसा चौक पर भारत पेट्रोल पंप की मालकिन हैं। तीन बेटे हैं, बड़ा बेटा 29 वर्ष का है और अब पट्रोल पंप संभालने लगा है। दूसरा बेटा अभिषेक 27 वर्ष का है और हैदराबाद में सीए है। छोटा बेटा आकाश स्नातक का छात्र है। संध्या देवी ने अपने पति के चले जाने के बाद कहा था कि उनके घर की जिम्मेदारी काफी बड़ी थी, लेकिन घर के अन्य सदस्यों के सहयोग से सबकुछ संभव हो सका।

संध्या देवी ने बताया था कि नागेश्वर महतो 13 जून को शहीद हुए थे, जिसके एक दिन बाद यह मनहूस खबर लेकर कुछ जवान उनके घर आए थे। खबर सुनकर संध्या पूरे दिन बेहोश रही थी। 16 जून को पति के पार्थिव शरीर को देख कर वो खूब रोईं थीं। वे कहती हैं कि वो क्षण बहुत दुखद था लेकिन पति की कुर्बानी बर्बाद नहीं हुई इस बात से खुशी मिलती है। भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त किया था। फायरिंग और राष्ट्रध्वज के बीच पति का अंतिम संस्कार गौरव का क्षण था।

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