राजस्थान के लाल शमशेर अली खान हुए सुपुर्द-ए-खाक, परिवार चार पीढ़ियों से कर रहा है देश सेवा

भारत और चीन के तनाव के बीच राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गांव हुकमपुरा के शमशेर अली खान (42) गुरुवार को भारत-चीन सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान शहीद (Martyr) हो गए।

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पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद शमशेर अली खान को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

शहीद (Martyr) शमशेर अली खान का परिवार चार पीढ़ियों से देश की सेवा में लगा हुआ है। पांचवी पीढ़ी भी सेना (Indian Army) में जाने का तैयार है। उनके दादा ने पाकिस्‍तान से साल 1965 की जंग लड़ी थी। शहीद शमशेर अली खान के पिता भी फौज में रह चुके हैं। 

भारत और चीन के तनाव के बीच राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गांव हुकमपुरा के शमशेर अली खान (42) गुरुवार को भारत-चीन सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान शहीद (Martyr) हो गए। शहादत की जानकारी मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पत्नी सलमा बानो और मां नथी बानो बेसुध हो गई।

शहीद की पार्थिव देह 4 सितंबर को उनके गांव पहुंची। 5 सितंबर की दोपहर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शमशेर अली खान का परिवार चार पीढ़ियों से देश की सेवा में लगा हुआ है। पांचवी पीढ़ी भी सेना में जाने का तैयार है। उनके दादा ने पाकिस्‍तान से साल 1965 की जंग लड़ी थी। शहीद शमशेर अली खान के पिता भी फौज में रह चुके हैं। 

शहीद के पिता रिटायर्ड नायब सूबेदार सलीम अली ने बताया कि 3 सितंबर की सुबह सेना के अधिकारी ने फोन पर शमशेर के शहीद (Martyr) होने की जानकारी दी। शमशेर के 2 बेटे और एक बेटी है। एक बेटे की उम्र 16 साल है और दूसरे बेटे की उम्र 12 साल है। शहीद के बड़े बेटे आलमशेर को अपने पिता की शहादत पर गर्व है।

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उसने कहा कि पिता और दादा की तरह वह भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है। अपनी परिवार के लोगों की देश के प्रति सेवा के जुनून को देखते हुए शहीद के बेटे ने सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई है। 

बता दें कि शमशेर अली 9 अप्रैल, 1997 को जबलपुर में सेना (Indian Army) में भर्ती हुए थे और वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में 24 ग्रेनेडियर्स यूनिट में तैनात थे। शमशेर अली चीन की सीमा पर पेट्रोलिंग करने गए हुए थे। वहां पर हुई आतंकी मुठभेड़ के दौरान वे आतंकियों से लोहा ले रहे थे।

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इस दौरान शमशेर पाइनिज पोस्ट पर शहीद (Martyr) हो गए। अरुणाचल प्रदेश में पाइनिज चेक पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान जहां वे शहीद हुए उस जगह की ऊंचाई जमीन से करीब 18 हजार फीट बताई जा रही है।

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