पैराट्रूपर छत्रपाल सिंह ने महज 22 साल की उम्र में कर दी देश पर जान कुर्बान

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के केरन सेक्टर में हुई आतंकी मुठभेड़ (Terrorist Encounter) में शहीद हुए छत्रपाल सिंह (Martyr Chhatrapal Singh) का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

Martyr Chatrapal Singh

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के केरन सेक्टर में हुई आतंकी मुठभेड़ (Terrorist Encounter) में शहीद हुए छत्रपाल सिंह (Martyr Chhatrapal Singh) का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी उपखंड के गांव छावसरी के रहने वाले छत्रपाल सिंह कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ कर आए आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हो गए थे।

Martyr Chatrapal Singh
शहीद छत्रपाल सिंह

भाई ने दी मु​खाग्नि:  गमगीन माहौल में शहीद छत्रपाल सिंह (Martyr Chhatrapal Singh) को अंतिम विदाई दी गई। कोरोना के खौफ के बावजूद शहीद को अंतिम विदाई देने काफी लोग उमड़े। इस दौरान हर किसी ने मास्क पहन रखा था और लोग सोशल डिस्टेंसिंग की भी पालना करते दिखे। शहीद छत्रपाल सिंह के भाई सूर्या प्रताप ने उनकी चिता को मु​खाग्नि दी।

LoC पर थे तैनात: बता दें कि छत्रपाल सिंह भारतीय सेना (Indian Army) 4 पैरा (एसएफ) यूनिट में थए। वे इन दिनों उत्तरी कश्मीर के सेक्टर में एलओसी पर तैनात ​थे। तीन और चार अप्रैल की रात को आतंकियों ने शमसबरी रेंज से नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठ की और सेक्टर के पोसवाल इलाके में ‘गुर्जर ढोक’ (खानाबदोशों का अस्थायी आश्रय) में छिप गए। जहां पर यह मुठभेड़ हुई, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए। इसमें छत्रपाल सिंह भी शामिल थे।

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महज 22 साल में हो गए शहीद: शहीद छत्रपाल सिंह (Martyr Chhatrapal Singh) की उम्र महज 22 साल थी। छत्रपाल सिंह का जन्म झुंझुनूं जिले के गांव छावसरी में 12 अगस्त, 1997 को हुआ था। उनके पिता का नाम सुरेश कुमार पाल और मां का नाम शशिकला देवी है। शहीद के एक भाई सूर्या प्रताप सिंह है। साल 2015 में छत्रपाल भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। छत्रपाल सिंह के पिता सुरेश कुमार पाल ने बताया कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। साल 2015 में बेटा भारतीय सेना में चालक के पद पर भर्ती हुआ था और साल 2018 में कमांडो बन गया था।

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शादी के लिए ढूढ़ रहे थे रिश्ता: शहीद छत्रपाल (Martyr Chhatrapal Singh) के पिता सरेश कुमार पाल ने बताया कि वे मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। पिछले तीन साल से गांव छावसरी में रहकर निजी चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। शहीद छत्रपाल सिंह के पिता उनकी शादी के लिए रिश्ता ढूंढ़ रहे थे। पर इससे पहले ही बेटा शहीद हो गया।

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