
चीन के खिलाफ युद्ध में उप्र के प्रतापगढ़ स्थित लालगंज तहसील के देउम पश्चिम के राधेश्याम तिवारी ने भी हिस्सा लिया था।
राधेश्याम तिवारी के बड़े बेटे साधूराम तिवारी एयर फोर्स से रिटायर्ट हैं। साधूराम बताते हैं कि मेरे भाई राजेश भी सेना से रिटायर्ड हैं। जबकि तीसरी पीढ़ी से धीरेंद्र तिवारी नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर से रिटायर हैं।
भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा। सेना ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना पूरा दमखम दिखाया लेकिन दुश्मन सेना बेहद ही एडवांस थी लिहाजा वह जीत गई। इस युद्ध में उप्र के प्रतापगढ़ स्थित लालगंज तहसील के देउम पश्चिम के राधेश्याम तिवारी ने भी हिस्सा लिया था।
खास बात यह है कि आज उनका लगभग पूरा परिवार ही फौज में भर्ती है। उनके बाद दो बेटे, दो पौत्र और दोनों पौत्र वधुएं सेना में शामिल हैं। तिवारी कहते हैं कि 1962 के युद्ध में कुछ कसक बाकी रह गई थी। चीनी सेना अत्याधुनिक राइफलों से लैस थी लेकिन हमारे पास वैसे हथियार नहीं थे। लेकिन अगर आज युद्ध होता है तो मेरे परिवार में शामिल फौजी इस कसक को पूरा कर देंगे।
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राधेश्याम तिवारी के बड़े बेटे साधूराम तिवारी एयर फोर्स से रिटायर्ट हैं। साधूराम बताते हैं कि मेरे भाई राजेश भी सेना से रिटायर्ड हैं। जबकि तीसरी पीढ़ी से धीरेंद्र तिवारी नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर से रिटायर हैं। जबकि उनकी पत्नी दीपिका तिवारी मिलिट्री अस्पताल अहमदाबाद में मेजर हैं।
धीरेंद्र के छोटे भाई अनुराग तिवारी एयर फोर्स में स्क्वार्डन लीडर हैं जबकि उनकी पत्नी रोशनी मिलिट्री अस्पताल में मेजर पद पर काम कर रही हैं। रोशनी के मुताबिक वे हमेशा से देश सेवा के लिए तत्पर रही हैं। उनके पिता और बाबा भी सेना में शामिल रहे हैं।
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