गलवान घाटी में पंजाब के नायब सूबेदार सतनाम सिंह शहीद, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प में पंजाब के सतनाम सिंह शहीद हो गए। गुरदासपुर के कलानौर के भाजराज में जब शहीद सतनाम सिंह (Martyr Satnam Singh) का पार्थिव शरीर पहुंचा तो लोगों ने फूलों की बारिश की और शहीद सतनाम अमर रहें के घोष से आसमान गूंज उठा।

Martyr Satnam Singh

लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प में पंजाब के सतनाम सिंह शहीद हो गए। गुरदासपुर के कलानौर के भाजराज में जब शहीद सतनाम सिंह (Martyr Satnam Singh) का पार्थिव शरीर पहुंचा तो लोगों ने फूलों की बारिश की और शहीद सतनाम अमर रहें के घोष से आसमान गूंज उठा। शहीद की पत्‍नी, पुत्र और पुत्री की हालत देखकर लोग खुद पर काबू नहीं रख पा रहे थे।

20 जून को शहीद सतनाम सिंह (Martyr Satnam Singh) को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। बेटे ने पिता को सैल्‍यूट कर अंतिम विदाई दी। बेटी ने भी पिता को सलामी दी। गांव में सबसे पहले शहीद के पार्थिव शरीर को उनके घर ले जाया गया और इसके बाद लोगों के अंतिम दर्शन के लिए ले रखा गया।

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नायब सूबेदार सतनाम सिंह 3 मीडियम रेजिमेंट लद्दाख में तैनात थे। सतनाम सिंह का जन्म 18 जनवरी 1979 को हुआ और उन्होंने 23 अगस्त 1995 को आर्मी ज्वॉइन की थी। शहीद की पत्नी का नाम जसविंदर कौर है। शहीद सतनाम (Martyr Satnam Singh) के दो बच्चे हैं- 17 साल की बेटी संदीप कौर और 16 साल का बेटा प्रभजोत सिंह।

शहीद की बूढ़ी मां कश्मीर कौर की आंखों के आंसू नहीं रूक रहे। शहीद सतनाम (Martyr Satnam Singh) के भाई सुखचैन सिंह भी भारतीय सेना (Indian Army) में सूबेदार हैं। वह हैदराबाद से छुट्टी पर घर आए हैं। सतनाम सिंह के शहीद होने की खबर सबसे पहले भाई सुखचैन सिंह को मिली थी।

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