शहीद मनदीप चीनी सैनिकों के लिए बन गए थे काल, भाई ने सुनाई दिलेरी की दास्तां….

शहादत से पहले मनदीप दिलेरी से दुश्मन सेना से लड़ रहे थे। बहादुरी का यह किस्सा बयां करते मनदीप सिंह के भाई निर्मल का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। उन्होंने बताया कि मनदीप (Martyr Mandeep Singh) किसी के रोके नहीं रुक रहा था।

Martyr Mandeep Singh

शहीद मनदीप सिंह (फाइल फोटो)

लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में पंजाब के पटियाला के नायब सूबेदार मनदीप सिंह शहीद हो गए। मनदीप सिंह की शहादत के बारे में जानकारी मिलने के बाद से मां शकुंतला और शहीद की पत्‍नी गुरदीप कौर बेहाल हैं। शहीद मनदीप (Martyr Mandeep Singh) का पार्थिव शरीर पहुंचते मां की सिसकियां चीखों में बदल गईं। लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी।

मां रोती हुईं एक ही सवाल पूछ रही थीं-पुत्त हुण मेरे गोड्डियां दा इलाज कौण करावांगा? बच्चेयां नू कौन सांभू, साड्डा ध्यान कौन रखूं? मैनूं कैहंदा सी कि मां इस वार छुट्टी आवांगा तां गोड्डियां दा इलाज जरूर करा दवांगा। हुण मैं किसनूं पुत्त कह के बुलावांगी।’ मां की चीखों के साथ पूछे जा रहे इन सवालों को सुन वहां मौजूद हर किसी के आंसू बहने लगे।

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शहीद नायब सूबेदार मनदीप सिंह (Martyr Mandeep Singh) का सैन्य सम्मान के साथ 18 जून की शाम को उनके पैतृक गांव सील में अंतिम संस्कार कर दिया गया। चिता को मुखाग्नि रिटायर्ड फौजी भाई निर्मल सिंह और बेटे ने दी। इससे पहले जहां सैकड़ों ग्रामीणों ने शहीद को नमन किया।

शहादत से पहले मनदीप दिलेरी से दुश्मन सेना से लड़ रहे थे। बहादुरी का यह किस्सा बयां करते मनदीप सिंह के भाई निर्मल का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। उन्होंने बताया कि मनदीप (Martyr Mandeep Singh) किसी के रोके नहीं रुक रहा था। दुश्मन सैनिकों का सफाया करते हुए वह लगातार आगे बढ़ रहा था। उसने जिस पर भी वार किया, वह दोबारा नहीं उठा। बता दें कि मनदीप के भाई निर्मल सिंह बीते 30 अप्रैल को उसी पोस्ट से रिटायर होकर लौटे हैं, जहां मनदीप शहीद हुए थे।

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निर्मल भावुक होकर अपने भाई की दिलेरी की दास्तान सुनाते हैं। उन्होंने बताया कि मनदीप अपने दल का लीडर था। जब चीन की ओर से हमला किया गया तो वह हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने लगा। उसने दो चीनी सैनिकों को पकड़ रखा था, तभी तीसरे ने मनदीप पर वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

निर्मल सिंह ने बताया कि मनदीप (Martyr Mandeep Singh) के दल में शामिल एक सैनिक बुरी तरह जख्मी हो गया था। वह अस्पताल में भर्ती है। उसने ही मनदीप की बहादुरी के बारे में बताया। निर्मल सिंह ने बताया कि मनदीप 15 दिन पहले अपने घर से छुट्टी बीताकर वापस लौटा था।

निर्मल सिंह के पास 17 जून की सुबह फोन आया और बताया गया कि मनदीप घायल हो गया है। जब उन्होंने इस बारे में और जानकारी मांगी तो बताया गया कि अभी संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके बाद दोपहर में उनके पास फिर फोन आया, जिसमें बताया गया कि मनदीप बहादुरी से चीनी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गया।

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