8 महीने पहले ही हुई थी शहीद गुरबिंदर की मंगनी, अब भी बेटे का इंतजार कर रही हैं मां की पथराई आंखें

पंजाब रेजिमेंट के जवान गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) थोड़े दिन पहले ही पहली बार लद्दाख में तैनात हुए थे। अभी आठ महीने पहले ही उनकी मंगनी हुई थी और घर में शादी की तैयारियां चल रही थी।

Martyr Gurbinder Singh

शहीद गुरबिंदर सिंह (फाइल फोटो)

सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प में पंजाब के संगरूर के जवान गुरबिंदर सिंह भी शहीद हो गए। पंजाब रेजिमेंट के जवान गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) थोड़े दिन पहले ही पहली बार लद्दाख में तैनात हुए थे। अभी आठ महीने पहले ही उनकी मंगनी हुई थी और घर में शादी की तैयारियां चल रही थी।

परिजनों के मुताबिक, 17 जून को सुबह साढ़े बजे पंजाब रेजिमेंट हेडक्वार्टर से फोन आया कि गुरबिंदर सिंह चीनी फौजियों के साथ झड़प में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर गए। इस खबर के बाद घर और गांव में शोक की लहर दौड़ गई। 19 जून को शहीद क पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 

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अभी आठ महीने पहले ही शहीद गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) की मंगनी हुई थी। बहन सुखजीत कौर ने रोते हुए बताया कि वह जिस भाई के माथे पर सेहरा बांधने के सपने देख रही थी, अब उसकी देह पर कफन देखने की हिम्मत उस में नहीं है। वह बिना बताए हमें छोड़कर चला गया।

शहीद गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) की मां चरणजीत कौर की आंखें भी पथरा गई हैं। वह बस उसी बात को यादकर रही हैं जब फौजी बेटा कहता था, ‘मां तुसीं फिकर ना करो, आके मैं सेहरा वी बन्नांगा ते घोड़ी वी चढ़ांगा। चावां नाल तुहाडी नूंह को लैके आंवांगे। बस, मैंनू दोबारा आ जाण दो, फेर घोड़ी चढ़ा देणा।’

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