
pulwama martyrs west bengal
कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में शहीद जवानों में से दो बंगाल के थे। इनमें एक ग्रामीण हावड़ा के बाउड़िया स्थित चककाशी गांव के बबलू सांतरा और दूसरे नदिया जिले के पलाशीपाड़ा थानांतर्गत हासपुकुड़िया के सुदीप विश्वास थे। 14 फरवरी की रात दोनों के परिवारों को इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए मिली।
Pulwama Attack: कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद जवानों में से दो बंगाल के थे। इनमें एक ग्रामीण हावड़ा के बाउड़िया स्थित चककाशी गांव के बबलू सांतरा और दूसरे नदिया जिले के पलाशीपाड़ा थानांतर्गत हासपुकुड़िया के सुदीप विश्वास थे। 14 फरवरी की रात दोनों के परिवारों को इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए मिली।
एक बेहतरीन वालीबॉल प्लेयर थे बबलू
शहीद बबलू सांतरा के परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी व एक चार साल की बेटी है। तीन बहन और दो भाइयों में बबलू सांतरा गरीबी से संघर्ष कर यहां तक पहुंचे थे। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। हाल में उन्होंने अपना नया घर बनवाया था। बबूला पूरे इलाके में एक बेहतरीन वालीबॉल प्लेयर के रूप में जाने जाते थे। वह काफी समय तक जंगलमहल में भी तैनात रहे। वे बहुत शांत और शालीन स्वभाव के थे। सीआरपीएफ में नौकरी मिलने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में हुई थी।
पिता की नन्ही परी को उम्मीद है कि उसके पापा जरूर आएंगे
बबलू CRPF के 35वीं बटालियन में तैनात थे। उनकी उम्र 37 साल थी और छह महीने में रिटायर होने वाले थे। सेवानिवृत्ति के बाद घर पर कोई व्यवसाय शुरू करने की सोच रखा था। उसके पहले ही देश के लिए शहीद हो गए। करीब 20 साल पहले वह CRPF में भर्ती हुए थे। कश्मीर में उनकी पोस्टिंग की शुरुआत हुई थी और कश्मीर में ही उनकी शहादत भी हुई है। उनकी चार साल की बेटी है। जिसका नाम पियाल है। बबलू के शहीद होने की खबर आते ही पूरे इलाके में मातम पसर गया। लोगों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनकी चार साल की बेटी को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। पिता की नन्ही परी को अभी भी पूरी उम्मीद है कि उसके पापा जरूर घर लौटेंगे। कुछ दिन पहले ही उसका दाखिला स्कूल में हुआ है।
आखिरी बार पत्नी से की थी बात
जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना होने से पहले बबलू सांतरा ने अपनी पत्नी को फोन किया था। उन्होंने कहा था कि एक घंटे के बाद वह कश्मीर पहुंच जाएंगे। उसके बाद फिर पत्नी को फोन करेंगे लेकिन दोबारा फोन तो जरूर आया लेकिन बबलू का नहीं बल्कि CRPF का जिसमें उनके शहीद होने की खबर आई। दुर्गा पूजा में डेढ़ महीने की छुट्टी पर आए थे और घर बना कर गए थे। उन्होंने कहा था कि छह महीने बाद रिटायर होने पर वह स्थाई तौर पर हावड़ा में रहने लगेंगे। लेकिन ये सारी बातें अधूरी ही रह गई हैं।
छुट्टी हो गई थी मंजूर, पर लौटकर वापस नहीं आए सुदीप
कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में बंगाल के दूसरे शहीद जवान सुदीप बिस्वास पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के हशपुकुरिया के रहने वाले थे। अभी 5 साल पहले ही वह सीआरपीएफ में शामिल हुए थे। सुदीप जल्द ही घर आने वाले थे। उनकी छुट्टी भी मंजूर हो गई थी। लेकिन इस आतंकी हमले ने सुदीप की अपने मां-बाप से मिलने की ख्वाहिश अधूरी ही छोड़ दी।
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