
shaheed ramesh yadav varanasi
Pulwama Attack: पुलवामा में हुए आतंकी हमले में वाराणसी के रमेश यादव शहीद हुए हैं। वाराणसी के तोहफापुर के रहने वाले रमेश यादव ने घटना के दो दिन पहले ही एक महीने की छुट्टी पूरी करके वापस ड्यूटी जॉइन की थी। हादसे से कुछ वक़्त पहले रमेश ने अपनी पत्नी रेनू और परिवार वालों से फोन पर बात की थी। उन्होंने वादा किया था कि वह श्रीनगर पहुंचकर फिर बात करेंगे। पर किसी को क्या पता था कि ये आख़िरी बार बात हो रही है।
रात में जब सीआरपीएफ हेड क्वार्टर से उनके शहीद होने की खबर मिली तो परिवार और पूरा गांव गम में डूब गया। हर किसी के आंख में आंसू थे। पत्नी रेनू रो-रो कर बेहोश हो जाती हैं। पिता को कुछ समझ नहीं आ रहा है। शहीद रमेश के पिता श्यामनारायण यादव रो-रो कर कह रहे हैं कि उनका कमाने वाला बेटा शहीद हो गया। अब घर कैसे चलेगा। पूरे परिवार के जीविका की ज़िम्मेदारी रमेश के कंधों पर ही थी।
पत्नी रेनू अपने दुखों को समेटते हुए पति की शहादत पर गर्व कर रही हैं। रेनू का कहना है कि उनके पति ने अच्छे कर्म किए थे, जिसकी वजह से आज वो अमर शहीद बन गए हैं। खुद को शहीद रमेश यादव की पत्नी होने पर गर्व महसूस करती हैं और साथ ही ये कहती हैं कि अपने पति की यादों और उनकी वीरता के किस्से के सहारे मेरी ये ज़िंदगी आसानी से कट जाएगी।
वहीं दुःख की इस घड़ी में शहीद रमेश यादव की मां राजमती देवी को भी अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। पिता श्यामनारायण यादव के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। वे अपना दुख भी नहीं जाहिर कर पा रहे हैं। पिता को अपने जवान बेटे की अर्थी को कंधा देना दुर्भाग्यपूर्ण लगता है पर रमेश के पिता को फ़ख़्र है कि उनका बेटा मातृभूमि के लिए शहीद हुआ है।
शहीद रमेश यादव के बेटे आयुष का पैर जन्म से ही टेढ़ा है, जिसका इलाज कराना है। रमेश ने वादा किया था अगली बार जल्द ही आऊंगा। फिर आयुष के पैर का अच्छी जगह इलाज कराऊंगा। पर डेढ़ साल के बेटे को क्या पता था कि पापा की जगह उनके शहादत की ख़बर आएगी। बेटे का इलाज कराने का वादा करके निकले रमेश को नहीं पता था कि वह अब कभी वापस नहीं आयेंगे।
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